नीदरलैंड में टाटा स्टील (Tata Steel) के इज्मुइडेन संयंत्र में कम कार्बन वाले इस्पात निर्माण के लिए डच सरकार और कंपनी के बीच पक्का समझौता चालू वित्त वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है।
टाटा स्टील के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि टाटा स्टील नीदरलैंड को कार्बनरहित बनाने की रणनीति को लेकर डच सरकार के साथ चर्चा शुरू हो गई है। यह गैर-कार्बोनीकरण दो चरणों में लागू किया जाएगा। एक ब्लास्ट फर्नेस साल 2030 से पहले बदला जाएगा। इसके बाद दूसरे वाले को बदला जाएगा।
उन्होंने शेयरधारकों को दिए अपने संदेश में कहा, ‘पहले चरण के लिए हमने डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) और इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस (ईएएफ) के जरिये साल 2030 तक ग्रीन स्टील उत्पादन की दिशा में जाने की योजना की रूपरेखा तैयार की है। डीआरआई, जो शुरू में प्राकृतिक गैस पर काम करेगी, तब सहज रूप से हाइड्रोजन को अपनाएगी, जब यह सुलभ और आर्थिक रूप से व्यावहारिक ऊर्जा स्रोत के रूप में उभरेगी।’
चंद्रशेखरन ने कहा ‘हमें इस वित्त वर्ष में समझौता पूरा करने की उम्मीद है।’ डच सरकार के साथ यह चर्चा वित्तीय और नीतिगत स्तर की मदद के संबंध में चल रही है।
हरित इस्पात संयंत्र
हरित इस्पात संयंत्र या इज्मुइडेन में 70 लाख टन के संयंत्र में बदलाव की रूपरेखा नवंबर 2023 में टाटा स्टील ने डच सरकार को पेश की गई थी। 28 मार्च, 2024 को डच संसद ने इस बात की पुष्टि की कि सरकार टाटा स्टील के प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए इच्छुक है और उसने सरकार को बातचीत करने का अधिकार दिया था।
कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि इस हरित इस्पात संयंत्र में टाटा स्टील के बड़े निवेश की दरकार है तथा यह सरकार की नीतिगत और वित्तीय सहायता के साथ ही सफल हो सकता है।
इस महीने की शुरुआत में मीडिया की खबरों में संकेत दिया गया था कि नीदरलैंड इज्मुइडेन संयंत्र के बदलाव में मदद के लिए तीन अरब यूरो तक प्रदान कर सकता है।
कंपनी ने शेयर बाजार की दी गई सूचना में स्पष्ट किया था कि प्रस्तावित डीकार्बोनाइजेशन पर डच सरकार के साथ चर्चा चल रही है। साथ ही कहा गया था कि अभी कोई अंतिम निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी।