छोटे वाणिज्यिक वाहनों की श्रेणी में बाजार हिस्सेदारी गंवा रही टाटा मोटर्स (Tata Motors) अपने लोकप्रिय ब्रैंड एस का नया डीजल मॉडल लाने की योजना बना रही है। इससे उसके मालिकों की कुल स्वामित्व लागत (टीसीओ) कम हो जाएगी।
टाटा मोटर्स के कार्यकारी निदेशक गिरीश वाघ ने संवाददाताओं से कहा कि साल 2018 तक उनकी बिक्री में डीजल एस की हिस्सेदारी लगभग 80 प्रतिशत होती थी। उन्होंने कहा, ‘बीएस 6 उत्सर्जन नियमों के बाद तकनीक से जुड़ी लागत बढ़ गई और ग्राहक डीजल एग्जॉस्ट फ्लूइड (डीईएफ) का उपयोग करने को इच्छुक नहीं है जिससे यह श्रेणी काफी हद कमजोर पड़ गई। लोगों ने तिपहिया वाहनों का रुख किया जिनमें उत्सर्जन के नरम नियम हैं और एससीआर (सलेक्टिव कैटालिटिक रिडक्शन) नहीं है।’
एससीआर ऐसी प्रणाली होती है, जिसे हानिकारक नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने के लिए डीजल वाहनों में लगाया जाता है और यह विशेष रूप से डिजाइन किए गए कैटेलिस्ट के जरिये डीजल इंजन के एग्जॉस्ट स्ट्रीम में ऑटोमोटिव ग्रेड यूरिया या डीईएफ इंजेक्ट करके काम करती है।
उन्होंने कहा, ‘इसलिए पहले हमने एस प्रो बनाया जो वाकई में सही कीमत में था। 3.99 लाख रुपये और उससे अधिक कीमत के इस चार-पहिया मिनी-ट्रक की मासिक ईएमआई चार अंकों में होगी और यह पेट्रोल, इलेक्ट्रिक तथा दो-फ्यूल (सीएनजी-पेट्रोल) के विकल्पों में आता है।’
उन्होंने कहा कि ईवी मॉडल की कीमत इस रेंज और स्पेसिफिकेशन वाले किसी भी अन्य चार-पहिया केकिसी प्रतिस्पर्धी कार्गो वाहन की तुलना में कम से कम 20 प्रतिशत कम है। टाटा मोटर्स ने देखा कि ई-कॉमर्स साफ तौर पर ईवी की ओर बढ़ रहा है और उनके लिए यह वाहन काफी मायने रखता है। अलबत्ता कंपनी एस डीजल को नए अवतार में लाने की योजना बना रही है।
टाटा मोटर्स को छोटे वाणिज्यिक वाहन-पिकअप श्रेणी में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और वित्त वर्ष 25 में वॉल्यूम घटकर 4,93,000 रह गया जबकि वित्त वर्ष 24 में यह संख्या 5,08,000 थी। इसमें पिकअप की हिस्सेदारी वास्तव में 65 प्रतिशत से बढ़कर 68 प्रतिशत हो गई।