नामी भारतीय दवा कंपनी सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज को अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन
सन फार्मा को यह मंजूरी एमिफॉस्टिन के
500 मिलीग्राम के इंजेक्शन बेचने के लिए दी गई है। मेडइम्यून इथाइओल की बिक्री से सालाना 320 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की रकम कमाती है। इथाइओल को कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के दुष्प्रभावों से बचने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
इस दवा के पेटेंट को चुनौती देने वाली सन फार्मा पहली कंपनी है। अनुच्छेद चार के तहहत उसने इसके पेटेंट को चुनौती दी थी। इस अमेरिकी नियम के तहत पेटेंट खत्म होने पर भी कंपनी को
180 दिन तक अकेले ही दवा की मार्केटिंग करने की इजाजत मिल जाती है। लेकिन जेनरिक प्रारूप पेश करने के लिए सन फार्मा इस पेटेंट का खात्मा चाहती थी। मेडइम्यून ने अगस्त 2004 में पेटेंट उल्लंघन का आरोप लगाकर इस बारे में कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी थी।
इसी की वजह से जेनेरिक प्रारूप को
30 महीने के लिए रोक दिया गया था। यह मामला अब भी अमेरिका की मैरीलैंड जिला अदालत में लटका हुआ है। इसी मामल में यूएसएफडीए के पास एक नागरिक याचिका भी लंबित है। इस दवा पर दो मुख्य पेटेंट 31 जुलाई 2012 को खत्म हो रहे हैं। तीसरा पेटेंट दिसंबर 2017 में खत्म होगा। सन फार्मा और उसकी सहायक अमेरिकी कंपनी काराको फार्मास्युटिकल्स साथ मिलकर अमेरिकी बाजार में तकरीबन 46 उत्पाद उतार चुकी हैं।