चीन की दिग्गज कंपनी अलीबाबा और उसके संस्थापक जैक मा को एक पूर्व भारतीय कर्मचारी की शिकायत के बाद गुरुग्राम की एक अदालत ने समन भेजा है। उन्हें 29 जुलाई को पेश होने या अपने वकील के जरिये पक्ष रखने को कहा गया है। इस पुराने कर्मचारी ने दावा किया है कि कंपनी के समाचार ऐप पर जारी फर्जी खबरों पर आपत्ति जताने के बाद उसे नौकरी से हटा दिया गया था। इसके एवज में उसने भारी हर्जाने की मांग की है।
अलीबाबा के स्वामित्व वाले मोबाइल ऐप यूसी न्यूज एवं यूसी ब्राउजर को भारत ने हाल ही में 57 अन्य चीनी कंपनियों के ऐप के साथ प्रतिबंधित कर दिया है। इस पाबंदी के लिए भारत की संप्रभुता एवं सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को आधार बताया गया है। भारत ने चीन के साथ सीमा पर संघर्ष एवं तनाव बढऩे के बीच यह कदम उठाया है।
इन चीनी कंपनियों से लिखित जवाब मांगा गया है कि उन्होंने भारत में कारोबार करते समय सामग्री की सेंसरशिप तो नहीं की। उनसे यह भी पूछा गया है कि वे किसी विदेशी सरकार के लिए तो काम नहीं कर रही थीं? अलीबाबा और उसके संस्थापक को राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम की एक अदालत ने यह समन भेजा है। अलीबाबा की फर्म यूसी वेब के पूर्व कर्मचारी पुष्पेंद्र सिंह परमार ने अपनी शिकायत में कहा है कि कंपनी चीन को नागवार गुजरने वाली सामग्री को सेंसर कर देती थी। इसके अलावा यूसी ब्राउजर एवं यूसी न्यूज ऐप पर ‘सामाजिक एवं राजनीतिक असंतोष को बढ़ावा देने वाली’ फर्जी खबरें प्रसारित करने का आरोप भी लगाया है। न्यायाधीश सोनिया श्योकंद की अदालत ने इस शिकायत के आधार पर गत 20 जुलाई को अलीबाबा कंपनी, जैक मा और करीब दर्जन भर अन्य सहयोगियों को समन जारी करते हुए उन्हें 29 जुलाई को खुद या अपने वकील के माध्यम से पेश होने को कहा है। कंपनी एवं उसके अधिकारियों से 30 दिनों के भीतर लिखित जवाब देने को भी कहा गया है।
समन जारी होने के बाद यूसी इंडिया ने एक बयान जारी कर भारतीय बाजार एवं स्थानीय कर्मचारियों के कल्याण को लेकर प्रतिबद्धता का उल्लेख किया है। लेकिन इस मुकदमे पर टिप्पणी करने में अपनी असमर्थता जताई है। अलीबाबा के भारतीय प्रतिनिधियों ने कंपनी या उसके संस्थापक की तरफ से इस घटनाक्रम पर टिप्प्णी के अनुरोध का कोई जवाब नहीं दिया है।
अदालती दस्तावेजों के मुताबिक शिकायतकर्ता परमार ने यूसी वेब के गुरुग्राम स्थित दफ्तर में एसोसिएट डायरेक्टर के रूप में अक्टूबर 2017 तक काम किया था। उन्होंने कंपनी की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने पर नौकरी से हटा दिए जाने की शिकायत करते हुए कंपनी से 2.68 लाख डॉलर का मुआवजा मांगा है।
रॉयटर्स ने इस सिलसिले में जब परमार के वकील अतुल अहलावत से संपर्क साधा तो उन्होंने भी यह कहते हुए कुछ कहने से मना कर दिया कि मामला अदालत के विचाराधीन है। भारत की कई कंपनियों में निवेश करने वाली अलीबाबा के सामने यह एक और मुश्किल आ गई है। अपने दो ऐप पर पाबंदी लगने के बाद यूसी वेब फर्म ने कुछ कर्मचारियों की छंटनी भी की है। रोक लगने के पहले भारत में इसके दोनों ऐप खासे लोकप्रिय थे। यूसी ब्राउजर को 68.9 करोड़ और यूसी न्यूज को 7.98 करोड़ लोगों ने डाउनलोड किया था।
परमार ने करीब 200 पृष्ठों की अपनी शिकायत में कहा है यूसी न्यूज ऐप पर फर्जी खबरें भी प्रसारित की गईं। अपने इस दावे के समर्थन में उन्होंने इन खबरों की क्लिपिंग भी लगाई हैं। ऐप पर वर्ष 2017 में पोस्ट एक खबर कहती है कि ‘आज आधी रात से 2000 रुपये के नोटों पर पाबंदी लग जाएगी।’ इसी तरह 2018 में ‘भारत एवं पाकिस्तान के बीच जंग छिडऩे’ की शीर्षक वाली खबर पोस्ट की गई थी। इस खबर में सीमा पर दोनों देशों के बीच गोलीबारी होने का ब्योरा भी दिया गया था।
हालांकि रॉयटर्स अदालती आवेदन में किए गए दावों की सत्यता की पुष्टि नहीं कर सकता है। लेकिन तथ्यात्मक तौर पर यही सच है कि भारत ने न तो 2,000 रुपये के नोटों पर रोक लगाई है और न ही भारत-पाकिस्तान में 2018 में लड़ाई हुई है।
शिकायतकर्ता के मुताबिक, यूसी वेब पर प्रसारित होने वाली खबरों के संदर्भ में कुछ संवेदनशील शब्दों की सूची तय थी जिनमें ‘भारत-चीन सीमा’ और ‘चीन-भारत युद्ध’ भी शामिल थे। इन शब्दों वाली किसी भी सामग्री को प्लेटफॉर्म पर सेंसर कर दिया जाता था। इस शिकायत में कहा गया है, ‘चीन के खिलाफ किसी भी तरह की समाचार सामग्री को नियंत्रित करने के लिए एक ऑडिट सिस्टम तैयार किया गया था जो उन्हें खारिज कर देता था।’
इस घटनाक्रम के बारे में प्रतिक्रिया के लिए दिल्ली स्थित चीनी दूतावास और पेइचिंग स्थित चीनी विदेश मंत्रालय के अलावा भारत के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से संपर्क साधा गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
