वाहन विनिर्माताओं (vehicle manufacturers) की लागत में इजाफा होने वाला है। करीब तीन तिमाहियों के बाद इस्पात कंपनियां अनुबंध कीमतों में वृद्धि के लिए दबाव बना रही हैं। लेकिन यह देखा जाना बाकी है कि वाहन विनिर्माता इस इजाफे को ग्राहकों पर डालती हैं या नहीं। ज्यादातर कार विनिर्माता पहले ही दाम बढ़ोतरी की घोषणा कर चुके हैं, जो अप्रैल से प्रभावी होगी।
कारों और यूटिलिटी वाहनों के मामले में कच्चे माल की लागत में इस्पात का हिस्सा लगभग आठ प्रतिशत, दोपहिया वाहनों में सात प्रतिशत और वाणिज्यिक वाहनों में नौ प्रतिशत हिस्सा रहता है।
प्रमुख इस्पात कंपनियां – टाट स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील और आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (एएम/एनएस इंडिया) ने इस्पात के दामों में तेजी की पृष्ठभूमि में अप्रैल से जून के अनुबंध के लिए वाहन क्षेत्र के मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) के साथ बातचीत शुरू कर दी है।
वाहन विनिर्माताओं द्वारा कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणाओं के तुरंत बाद इस बातचीत की शुरुआत की गई है।
जेएसडब्ल्यू स्टील के उप प्रबंध निदेशक जयंत आचार्य ने कहा कि दिसंबर 2022 में अधिक लागत संरचना को दर्शाते हुए इस्पात की कीमतें वैश्विक स्तर पर बढ़ी हैं। इसलिए प्रत्यक्ष रूप से वाहन अनुबंध की कीमतों में इजाफा होगा।
एएम/एनएस इंडिया के मुख्य विपणन अधिकारी रंजन धर ने भी इस बात की पुष्टि की कि अनुबंधों के लिए बातचीत शुरू हो गई है। धर ने कहा कि पिछली तीन तिमाहियों में दामों में गिरावट नजर आई है। लेकिन इनपुट की बढ़ती लागत के कारण दिसंबर के आखिर से इस्पात के दामों में इजाफा हुआ है, जो बातचीत में भी नजर आएगा। आम तौर पर पिछले तीन/छह महीने का औसत बातचीत का आधार बनता है।
वाहन कंपनियों की इस्पात आवश्यकता की लगभग 90 प्रतिशत आपूर्ति टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील और एएम/एनएस इंडिया करती हैं। सूत्रों ने कहा कि माना जा रहा है कि टाटा स्टील भी कीमतें बढ़ाना चाह रही हैं।
दिसंबर के बाद से वैश्विक स्तर पर इस्पात के हाजिर दामों में बढ़ोतरी हुई है। मार्च तक अमेरिका में करीब 49 फीसदी तक और यूरोप में 22 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। घरेलू बाजार में 12 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है, जो आगामी अनुबंधों के लिए बातचीत का आधार होगा।
सामान्य रूप से वाहनों के लिए अनुबंध छह महीने के लिए होते थे, लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद आपूर्ति में रुकावट के कारण इस्पात की कीमतों में अस्थिरता ने कंपनियों को तिमाही अनुबंधों की दिशा में जाने के लिए प्रेरित किया।
1 अप्रैल से प्रभावी नए उत्सर्जन मानदंडों की अनुपालन लागत के साथ-साथ पिछली लागत वृद्धि को समायोजित करने के लिए वाहनों के दाम जनवरी से बढ़ रहे हैं।