भारत में स्टार्टअप कंपनियों की फंडिंग का दौर बदल रहा है। कुल फंडिंग में रुझान बढ़ने के साथ-साथ सौदों का आकार बड़ा हो रहा है। हालांकि अब लेट-स्टेज वाले स्टार्टअपों में दिलचस्पी है। इनमें से कई आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की दिशा में बढ़ रहे हैं।
शेयर बाजार में रिकॉर्ड उछाल और सूचीबद्ध स्टार्टअप कंपनियों के लगातार बेहतर होते प्रदर्शन से धारणा बेहतर हुई है, खास तौर उन स्टार्टअप के मामले में जो आईपीओ के लिए एकदम तैयार रहे हैं। इस साल अब तक स्टार्टअप के आईपीओ की संख्या बढ़कर 17 हो गई है। इनकी संख्या साल 2023 की पहली छमाही में छह और दूसरी छमाही में 12 थी।
इसके समानांतर इस साल अब तक स्टार्टअप की फंडिंग बढ़कर 4.1 अरब डॉलर हो गई है जबकि साल 2023 की दूसरी छमाही की यह फंडिंग 3.96 अरब डॉलर थी। इससे इसमें सुधार के रुख की पुष्टि होती है। लेट-स्टेज स्टार्टअप कंपनियों की फंडिंग, जिनमें आईपीओ लोने वाले समूह भी शामिल हैं, इस साल अब तक 50 सौदों में 2.4 अरब डॉलर थी।
पिछले साल की दूसरी छमाही में यह 61 सौदों के जरिये 2.3 अरब डॉलर और जनवरी-जून 2003 में 2.4 अरब डॉलर थी। इससे हर सौदे के आकार में इजाफे का पता चलता है। जेप्टो ने पिछले सप्ताह 66.5 करोड़ डॉलर की फंडिंग के दौर और अपने मूल्यांकन का दोगुने से भी ज्यादा होने का ऐलान किया है।
जेप्टो ने इस उपलब्धि का श्रेय अपने बेहतर प्रदर्शन को दिया और अगले साल संभावित आईपीओ की भी बात कही। जेप्टो के सह-संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी आदित पालिचा ने फंडिंग पर चर्चा करते हुए बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि बैंक में नकदी होने से हम खासे स्तर का आईपीओ पेश करने में सक्षम हैं। हमें विश्वास है कि आईपीओ साल 2025 में आएगा।