सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्टारलिंक के वितरण और विपणन के लिए एयरटेल के साथ गठजोड़ के ईलॉन मस्क के फैसले से मस्क को रिलायंस जियो के साथ मुकाबला करना पड़ सकता है। मुकेश अंबानी की अगुआई वाली कंपनी फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस (एफडब्ल्यूए) ब्रॉडबैंड के लिए बड़ी योजना शुरू कर रही है। इसके जरिए वह 10 करोड़ से ज्यादा घरों तक पहुंचना चाहती है।
अलबत्ता मस्क की स्टारलिंक को गृह मंत्रालय की मंजूरी की जरूरत होगी और भारतीय ग्राहकों को सेवाएं देने से पहले सरकार से स्पेक्ट्रम भी खरीदना होगा। इसे किस तरह किया जाएगा, इसके लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की सिफारिशों का इंतजार किया जा रहा है।
इसके अलावा मस्क की कंपनी किट बेचने और सेवाओं के विपणन तथा वितरण के लिए एयरटेल के साथ कई तरीकों से सहयोग करेगी। साथ ही वह इसी क्षेत्र में भारतीय दूरसंचार कंपनी के साथ प्रतिस्पर्धा भी करेगी। यह वन वेब के जरिये होगा जो देश में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की पेशकश करने की योजना बना रही है। मस्क की कंपनी भी धीमी शुरुआत के बाद अपना एफडब्ल्यूए कारोबार बढ़ाने की कोशिश करेगी।
जाहिर है अवसर बड़ा है और यही वजह है कि मस्क के लिए भारत में अपनी महत्वाकांक्षा के साथ आगे बढ़ाना समझदारी भरा है। भारत बड़ा बाजार है और अनुमान है कि 2030 तक करीब 8.5 से 10 करोड़ घरों में एफडब्ल्यूए होगा। एरिक्सन का अनुमान है कि भारत जल्द ही अमेरिका से आगे निकल जाएगा, जो एफडब्ल्यूए के 60 लाख ग्राहकों के साथ कंपनी का सबसे बड़ा बाजार है।
देश के 1,700 से ज्यादा शहरों और कस्बों में जियो तथा एयरटेल के पास पहले से ही एफडब्ल्यूए के 30 लाख से ज्यादा ग्राहक हैं। बेशक स्टारलिंक के लिए चुनौती यह होगी कि वह एफडब्ल्यूए में जियो और एयरटेल दोनों के साथ-साथ सैटेलाइट ब्रॉडबैंड में एयरटेल के साथ भी अपने उत्पाद की कीमत प्रतिस्पर्धी रूप से तय करे।
भारतीय दूरसंचार कंपनियां एक महीने के लिए 599 की शुरुआती कीमत पर एफडब्ल्यूए की पेशकश कर रही हैं, जिसमें मुफ्त इंस्टॉलेशन भी शामिल है।