ईलॉन मस्क (Elon Musk) की कंपनी SpaceX की सैटेलाइट इंटरनेट इकाई Starlink अब भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने के बेहद करीब पहुंच गई है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उसे अंतिम नियामकीय मंजूरी जल्द मिल सकती है।
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रोत्साहन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) ने Starlink को एक ड्राफ्ट दस्तावेज सौंपा है, जिसे ‘लेटर ऑफ इंटेंट’ जैसा माना जा रहा है। इस पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर होने के बाद Starlink को आधिकारिक मंजूरी दे दी जाएगी।
इस कदम के बाद Starlink को भारत में पहले से ही अनुमति प्राप्त कंपनियों Eutelsat OneWeb और Jio Satellite के बराबर दर्जा मिल जाएगा। बीते महीने ही Starlink को ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस मिला था। यह मंजूरी पाने वाली वह देश की तीसरी सैटकॉम कंपनी बन चुकी है।
भारत में रेगुलेटरी मंजूरी मिलने के बावजूद Elon Musk की कंपनी Starlink फिलहाल अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं शुरू नहीं कर सकती। सरकार के नियमों के मुताबिक, कंपनी को पहले देश के भीतर ज़रूरी ज़मीनी ढांचा तैयार करना होगा — जैसे कि अर्थ स्टेशन और कंट्रोल सेंटर। इसके अलावा, Starlink को अपनी सेवाओं का सुरक्षा एजेंसियों के सामने डेमो भी देना होगा। जब तक सुरक्षा मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक कंपनी को उपभोक्ताओं को सेवा देने की इजाजत नहीं मिल सकती।
ऐसी ही देरी का सामना Starlink की प्रतिस्पर्धी कंपनियों को भी करना पड़ा है। OneWeb को 2021 में और Jio Satellite को 2022 में GMPCS लाइसेंस मिला था, लेकिन ये दोनों कंपनियां भी अब तक सुरक्षा क्लियरेंस का इंतजार कर रही हैं।
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (DoT) ने बीते साल इन परीक्षणों के लिए ट्रायल स्पेक्ट्रम मुहैया कराया था, जिसे अब छह महीने के लिए और बढ़ा दिया गया है।
भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा देने की तैयारी कर रही एलन मस्क की कंपनी Starlink को सुरक्षा मंजूरी मिलने में दिक्कतें आ सकती हैं। इसकी वजह यह है कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पहले ही Starlink के टर्मिनलों के इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई थी, खासतौर पर पूर्वोत्तर के सीमावर्ती इलाकों में।
जानकारी के मुताबिक, सुरक्षा एजेंसियों ने कंपनी पर जरूरी जानकारी साझा न करने का भी आरोप लगाया था। इसी साल मार्च में गृह मंत्रालय ने इस मामले की जांच के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) से औपचारिक तौर पर अनुरोध किया था।
भारत में सैटकॉम ऑपरेटरों के लिए सख्त नियम तय हैं। उन्हें देश के भीतर होने वाले सारा इंटरनेट ट्रैफिक भारतीय गेटवे के जरिए ही रूट करना होता है। इसके अलावा, कंपनियों को देश में मॉनिटरिंग और नियंत्रण केंद्र भी बनाना अनिवार्य है। अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे इलाकों में एक सुरक्षा बफर ज़ोन भी बनाया जाना चाहिए।
Starlink की सेवाओं को लेकर पहले भी विवाद हुआ था, जब बिना लाइसेंस के उसने भारत में टर्मिनल बेचना शुरू कर दिया था।
भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा देने की तैयारी कर रही एलन मस्क की कंपनी Starlink ने कीमतों और वितरण को लेकर रणनीति साफ कर दी है। कंपनी की इंटरनेट किट की कीमत करीब ₹33,000 होगी, जबकि मासिक प्लान ₹3,000 से ₹4,200 के बीच रखे जाएंगे। यह कीमतें बांग्लादेश और भूटान जैसे पड़ोसी देशों के समान हैं, जहां इस साल की शुरुआत में Starlink ने सेवाएं शुरू की थीं।
Starlink ने भारत में वितरण के लिए दो बड़ी टेलीकॉम कंपनियों—भारती एयरटेल और रिलायंस जियो—से साझेदारी की है। अप्रैल 2025 में इन दोनों कंपनियों के साथ वितरण समझौते हुए थे। इनके ज़रिए Starlink की किट्स और सेवाएं ग्राहकों तक पहुंचेंगी।
भारत सरकार से जरूरी लाइसेंस मिलने के बाद SpaceX की प्रेसिडेंट और सीओओ ग्विन शॉटवेल ने हाल ही में केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की। इस दौरान भारत के डिजिटल विस्तार में सैटेलाइट कनेक्टिविटी की भूमिका और साझेदारी के अवसरों पर चर्चा हुई।
सिंधिया ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी, “@SpaceX की प्रेसिडेंट ग्विन शॉटवेल से मुलाकात सार्थक रही। हमने डिजिटल इंडिया की महत्वाकांक्षाओं को सैटेलाइट संचार से जोड़ने की संभावनाओं पर चर्चा की।”
ग्विन शॉटवेल ने भारत में Starlink को लाइसेंस मिलने को “इस यात्रा की शानदार शुरुआत” बताया।