प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
राजस्व वृद्धि में नरमी की वजह से मार्जिन और आय को चोट पहुंचने से भारतीय कंपनियां अपनी कर्मचारी लागत तर्कसंगत बनाने पर विचार कर रही हैं। देश की सूचीबद्ध कंपनियों के संयुक्त वेतन व्यय में साल 2025 की जनवरी-मार्च तिमाही (वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही) में एक साल पहले की तुलना में केवल 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो लगातार पांचवी तिमाही में एक अंक में वृद्धि है और कम से कम 17 तिमाहियों में सबसे धीमी दर है। तुलना करें तो इन कंपनियों के संयुक्त वेतन व्यय में वित्त वर्ष 24 की इसी तिमाही में सालाना आधार पर 6.1 प्रतिशत और वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही में 5.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
हमारे विश्लेषण में शामिल 457 सूचीबद्ध कंपनियों ने वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही के अपने परिणाम घोषित कर दिए हैं। इन कंपनियों ने तिमाही के दौरान अपने कर्मचारियों पर संयुक्त रूप से करीब 2.46 लाख करोड़ रुपये खर्च किए है जबकि वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही में 2.45 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही में 2.38 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। हमारे विश्लेषण में 25 (26 अगर हम बजाज फिनसर्व की सहायक कंपनी बजाज फाइनैंस को भी शामिल कर लें, जो सूचकांक में भी शामिल है) कंपनियां ऐसी हैं जो बेंचमार्क निफ्टी 50 सूचकांक का हिस्सा हैं। इस विश्लेषण की कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण बुधवार को करीब 199.5 लाख करोड़ रुपये था जो उस दिन बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों के संयुक्त बाजार पूंजीकरण का 47 प्रतिशत है।
भारतीय कंपनियों की शुद्ध बिक्री में वेतन व्यय का हिस्सा वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में घटकर 12 प्रतिशत रह गया जबकि पिछले साल यह 12.14 प्रतिशत और पांच साल का औसत 12.6 प्रतिशत था। विश्लेषकों के अनुसार वेतन वृद्धि में यह गिरावट अपेक्षा के अनुरूप है और यह शहरी खपत तथा वाहन जैसी वस्तुओं पर वैकल्पिक खर्चों में नजर आई मंदी में भी दिखती है।