मंदी की मार झेल रहे सीमेंट और स्टील के कारोबारियों को आंध्र प्रदेश में तो कम से कम राहत मिलने की उम्मीद नजर आ रही है।
आंध्र प्रदेश सरकार जल्द ही 12,132 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी मेट्रो रेल परियोजना शुरू करने जा रही है। सार्वजनिक और निजी भागेदारी वाली इस परियोजना को नव भारत के नेतृत्व तले पूरा किया जाएगा।
इस परियोजना के लिए 26 लाख टन से ज्यादा सीमेंट और 217 हजार टन से भी ज्यादा स्टील की जरूरत पड़ेगी। इस परियोजना के तहत मेट्रो रेल के लिए लगभग 71.6 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन बिछाई जाएगी।
सीमेंट, स्टील को बढ़ावा
इस परियोजना को पूरा करने के लिए बनाई गई कंपनी हैदराबाद मेट्रो रेल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एन वी एस रेड्डी ने बताया, ‘सीमेंट का उत्पादन अधिक मात्रा में होगा। इसके लिए हैदराबाद के आसपास उपकरणों का निर्माण करने के लिए कई इकाइयां और लगेंगी।’ इस परियोजना से सीमेंट और स्टील के अलावा और भी कई क्षेत्रों में कारोबार को बढ़ावा मिलेगा।
इसी परियोजना के तहत लगभग 212 एकड़ की भूमि का भी विकास किया जाएगा। इस परियोजना के विकास कार्य से भी सीमेंट और स्टील की मांग में काफी इजाफा होने की संभावना है। मेट्रो परियोजना के साथ ही मियापुर-एलबी कॉरिडोर की सड़क की चौड़ाई 90 फीसदी, नागोल-शिलपाड़म कॉरिडोर की चौड़ाई 75 फीसदी और जुबली बस स्टेशन-फलकनुमा कॉरिडोर की चौड़ाई को भी 45 फीसदी किया जाएगा। इसके बाद ही कंपनियां मैट्रो के निर्माण का कार्य पूरा कर पाएंगी।
इन तीन कॉरिडोरों का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए लगभग 88 लाख बैग की जरूरत होगी। हर बैग में 50 किलो सीमेंट होता है। जबकि हर डिपो के निर्माण कार्य पूरा करने के लिए लगभग 138 लाख बैग सीमेंट, स्टेशन निर्माण के लिए लगभग 72 लाख और पार्किंग के लिए 225 लाख बैग की जरूरत होगी। फिलहाल एक सीमेंट बैग की कीमत 210-230 रुपये के बीच है और स्टील की कीमत 40,000 रुपये प्रति टन है।
इसी तरह कॉरिडोर का निर्माण करने के लिए एक लाख टन से ज्यादा स्टील, डिपो के लिए 33,000 टन, स्टेशन के लिए 17,200 टन और पार्किंग के लिए कम से कम 54,000 टन अतिरिक्त स्टील की जरूरत होगी। कोरामंडल सीमेंट्स के प्रबंध निदेशक रमेश चंद्रा ने बताया कि फिलहाल हैदराबाद में हर महीने 4.5 लाख टन सीमेंट की खपत होती है।