प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
सीएलएसए के मुख्य इक्विटी रणनीतिकार एलेक्जेंडर रेडमैन ने कहा कि भारत को वैश्विक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) से बचाव वाले ट्रेड का लाभ मिल सकता है और वह विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर सकता है। रेडमैन 28वें सिटिक सीएलएसए इंडिया फोरम में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे।
रेडमैन ने कहा, भारत अभी भी ऐसा बाजार है जो विदेशी निवेशकों के लिए बड़े आकर्षण का केंद्र है। यह अभी भी उन आखिरी उभरते बाजारों में से एक है जहां आप जनसंख्या और सकारात्मक शहरीकरण, ऋण वृद्धि, सुधारों और उत्पादकता वृद्धि का लाभ उठा सकते हैं। कुछ ही अन्य उभरते बाजारों में आपको भारत जैसी विशेषताएं मिल सकती हैं। और बेशक यह बड़ा है, व्यापक है और इसका विस्तार संभव है।
रेडमैन ने कहा कि पिछले 12 से 18 महीनों में भारत की निवेश अपील में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। हालांकि इस अवधि के दौरान गिरावट के बाद अब यह कम कीमत पर ट्रेड कर रहा है।
रेडमैन ने कहा, यह निवेशकों को फिर से जुड़ने के लिए मजबूर करने वाला प्रलोभन नहीं है। भारत एक अपेक्षाकृत व्यापक और लिक्विड मार्केट है जो बिना एआई वाले ट्रेड के लिए संभावित जगह हो सकता है। अन्य बाजारों में ब्राजील या आसियान के कुछ देश शामिल हो सकते हैं, हालांकि उनमें लिक्विडिटी चिंता का सबब है।
जब उनसे पूछा गया कि चीन के इक्विटी बाजारों में तेजी ने भारत में निवेश को किस तरह से प्रभावित किया है तो रेडमैन ने कहा कि वह इस तर्क से सहमत नहीं हैं कि ये दोनों साथ-साथ नहीं हो सकते।
उन्होंने कहा, पिछले 12 से 18 महीनों में लोगों ने स्पष्ट रूप से भारत का इस्तेमाल चीन के लिए धन के स्रोत के रूप में किया, लेकिन यह इसलिए किया गया था क्योंकि भारत की तेजी खत्म हो चुकी थी और वैसे भी गिरावट आनी थी। लेकिन मेरे खयाल से आप यह तर्क दे सकते हैं कि अगर धन चीन से बाहर जा रहा है तो वह भारत वापस आ सकता है। लेकिन मैं इस तर्क को नहीं मानता कि आप एक ही समय में दोनों जगह निवेश नहीं कर सकते। मुझे लगता है कि पिछले 12 से 18 महीनों में भारत से निकाले गए धन का बड़ा हिस्सा संभवतः कोरिया और ताइवान गया है।
अमेरिकी इक्विटी के बारे में रेडमैन ने कहा कि मूल्यांकन के दृष्टिकोण से ऐसा निश्चित रूप से लगता है कि अमेरिकी शेयर बाजार बुलबुले में हैं या कम से कम बुलबुले के करीब हैं।
रेडमैन ने कहा, 2002 के बाद से इक्विटी बनाम बॉन्ड के मामले मेंआय प्रतिफल-बॉन्ड प्रतिफल अनुपात सबसे फीका है। जाहिर है, बाजार भी अविश्वसनीय रूप से केंद्रित है। एसऐंडपी 500 की आधी से अधिक कमाई सिर्फ सात शेयरों से आ रही है। सूचकांक के बाजार पूंजीकरण का लगभग आधा हिस्सा अब सिर्फ 10 कंपनियों के पास है। इसलिए जब भी आपको एमएजी-7 या एआई-संबंधित निवेश में दरार दिखने लगेगी तो पूरा बाजार उसका असर महसूस करेगा।