प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारतीय शेयर बाजारों में सोमवार को लगातार छठे कारोबारी सत्र में बढ़ोतरी दर्ज की गई क्योंकि निवेशकों को सितंबर तिमाही के उम्मीद से बेहतर नतीजों से राहत मिली, जो बाजार की उम्मीदों पर खरी उतरी और कोई बड़ी निराशा नहीं हुई। निफ्टी 29 अक्टूबर के बाद पहली बार 26,000 के पार बंद हुआ। निफ्टी 103 अंक चढ़कर 26,014 पर टिका। सेंसेक्स 388 अंक चढ़कर 84,951 पर बंद हुआ। दोनों ही सूचकांक पिछले छह कारोबारी सत्रों में करीब 2 फीसदी चढ़े हैं।
उधर, निफ्टी मिडकैप 100 नए रिकॉर्ड को छू गया और 0.7 फीसदी की बढ़त के साथ 61,181 पर बंद हुआ। सेंसेक्स अब अपने सर्वकालिक उच्चस्तर से महज 1 फीसदी पीछे है जबकि निफ्टी 0.8 फीसदी पीछे। निफ्टी स्मॉलकैप 100 अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से 7 फीसदी पीछे है।
बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 3.2 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 477 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो नए रिकॉर्ड से बस थोड़ा पीछे है। पिछले छह सत्रों में निवेशकों ने बाजार कीमत में 11 लाख करोड़ रुपये जोड़े हैं।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक और घरेलू संस्थागत निवेशक दोनों ही शुद्ध खरीदार रहे, जिनमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 442 करोड़ रुपये और घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 1,466 करोड़ रुपये का निवेश किया।
मजबूत आय और संभावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर आशावाद से इक्विटी धारणा को बल मिला है, जिससे चुनिंदा वस्तुओं पर टैरिफ में भारी कमी आ सकती है और यह करीब 50 फीसदी से घटकर 15-16 फीसदी रह सकता है। हालांकि उच्च मूल्यांकन और बीच-बीच में मुनाफावसूली से तेजी पर लगाम लग रही है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज़ के शोध प्रमुख (वेल्थ मैनेजमेंट) सिद्धार्थ खेमका ने कहा, संभावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौता एक महत्वपूर्ण कारक बना हुआ है जिस पर बाजार के प्रतिभागियों की पैनी नजर है। मौजूदा जोखिम-प्रतिफल व्यवस्था मोटे तौर पर अनुकूल बनी हुई है, जिसे उम्मीद से ज्यादा मज़बूत मिड-कैप नतीजों का समर्थन हासिल है, जो वृद्धि में सुधार को लेकर भरोसे को मजबूत बनाता है और भविष्य में आय में सुधार का संकेत देता है। कुल मिलाकर, हमें उम्मीद है कि आय में सुधार, मज़बूत घरेलू वृहद आर्थिक आंकड़े और स्थिर नीतिगत समर्थन के चलते यह तेजी जारी रहेगी।