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पांच भारतीय स्टार्टअप में निवेश करेगी सॉफ्टबैंक, सभी में लगाएगी 5 से 10 करोड़ डॉलर

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- May 24, 2023 | 10:46 PM IST

सॉफ्टबैंक 40 से 50 करोड़ डॉलर मूल्यांकन वाली करीब 5 भारतीय स्टार्टअप में निवेश की तैयारी रही है। इससे इन स्टार्टअप कंपनियों को वृद्धि के अगले चरण में पहुंचने और यूनिकॉर्न बनने में मदद मिलेगी। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि सॉफ्टबैंक बी2सी, एंटरप्राइज और मीडिया क्षेत्र के स्टार्टअप में निवेश की संभावनाएं तलाश रही है।

मासायोशी सोन के नेतृत्व वाली जापान की निवेश फर्म ने हरेक भारतीय स्टार्टअप में 5 से 10 करोड़ डॉलर के निवेश की योजना बनाई है। यह भारतीय स्टार्टअप में उसके पहले दौर के निवेश के मुकाबले काफी कम है। सॉफ्टबैंक को हाल तक भारतीय बाजार में बड़े निवेश के लिए जाना जाता रहा है।

सॉफ्टबैंक उन कंपनियों में भी अवसर तलाश रही है, जहां आरं​भिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की योजना टाले जाने के कारण मौजूदा निवेशक द्वितीयक बिक्री के जरिये हिस्सेदारी बेचना चाहते हैं। ऐसे मौके मिले तो सॉफ्टबैंक 10 करोड़ डॉलर से अ​धिक के निवेश पर भी विचार कर सकती है।

इस मामले में प्रतिक्रिया के लिए सॉफ्टबैंक के प्रवक्ता से संपर्क नहीं हो सका।

साल 2022 में सॉफ्टबैंक का भारतीय निवेश काफी हद तक सॉफ्टवेयर ऐज अ सर्विस (सास) कंपनियों पर केंद्रित था, जहां उसने महज 59 करोड़ डॉलर का निवेश किया था। यह 2021 में उसके 320 करोड़ डॉलर के निवेश के मुकाबले काफी कम है। फिलहाल भारतीय कंपनियों में सॉफ्टबैंक का कुल निवेश करीब 1,500 करोड डॉलर है। वह 6 से 7 अरब डॉलर का निवेश निकाल भी चुकी है।

भारत में सॉफ्टवेयर की रणनीति से अवगत सूत्रों ने कहा कि 2023 में भी उसका कुल निवेश 50 करोड़ डॉलर के दायरे में रह सकता है। उन्होंने कहा कि यदि उसे द्वितीयक बिक्री के सौदे मिलते हैं तो कुल निवेश का आंकड़ा बढ़ भी सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि सॉफ्टबैंक ने होटल एग्रीगेटर ओयो, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म मीशो जैसी उच्च वृद्धि वाली कंपनियों में निवेश किया था। मगर ये कंपनियां नकदी खर्च पर तेजी से अंकुश लगा रही हैं, जिससे उनकी वृद्धि प्रभावित हो सकती है।

सूत्रों ने बताया कि वृद्धि के अंतिम चरण तक पहुंच चुकीं अ​धिकतर कंपनियों ने कम अथवा समान मूल्यांकन पर नई रकम नहीं जुटाने का निर्णय लिया है। ये कंपनियां अगले छह महीने तक इंतजार करना चाहती हैं। ऐसे में सॉफ्टबैंक के लिए इन कंपनियों में नए दौर के निवेश के ज्यादा विकल्प नहीं हैं।

पूरी दुनिया में तकनीकी क्षेत्र में नरमी के कारण सॉफ्टबैंक और विजन फंड को कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है तथा तकनीकी स्टार्टअप में अपना निवेश घटाना पड़ रहा है। मगर उसने हाल में अपने नतीजे जारी करते हुए कहा था कि वह कृत्रिम मेधा (एआई) में निवेश पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसका मतलब साफ है कि भारत में उसका निवेश कम रहेगा क्योंकि यहां इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कारोबार वाली स्टार्टअप की संख्या अ​धिक नहीं है।

बहरहाल भारत सॉफ्टबैंक के लिए अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा बाजार बना रहेगा। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कंपनी के शीर्ष प्रबंधन ने इसी साल मार्च में भारत का दौरा किया था। उस टीम में सोन के अलावा सॉफ्टबैंक विजन फंड के मैनेजिंग पार्टनर ग्रेग मून, सीओओ एवं सीएफओ नवनीत गोविल और बोर्ड के निदेशक शामिल थे।

भारत में सॉफ्टबैंक को अधिकांश निवेश पर फायदा हुआ है। उदाहरण के लिए उसने 1 अरब डॉलर के मूल्यांकन पर ओला इले​क्ट्रिक में निवेश किया था, लेकिन निवेश का नया दौर पूरा होने तक कंपनी का मूल्यांकन 6 अरब डॉलर हो जाएगा। इसी प्रकार उसने मीशो में 1.2 अरब डॉलर के मूल्यांकन पर निवेश किया था और पिछले दौर के निवेश के समय उसका मूल्यांकन 4.9 अरब डॉलर हो चुका था।

First Published : May 24, 2023 | 10:46 PM IST