प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
देश के स्मार्ट फोन की बाजार हिस्सेदारी में स्पष्ट बदलाव आ रहा है। एक तरफ चीन की दिग्गज श्याओमी, जो कभी भारतीय बाजार में प्रमुख कंपनी थी, कैलेंडर वर्ष 2016 की पहली तिमाही के बाद से पहली बार मूल्य हिस्सेदारी के लिहाज से शीर्ष 5 से बाहर हो गई है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार कैलेंडर वर्ष 25 की पहली तिमाही में इसकी मूल्य हिस्सेदारी आधी होकर 5 प्रतिशत रह गई। कैलेंडर वर्ष 24 की पहली तिमाही में यह 10 प्रतिशत थी। अपने चरम पर थोक मूल्य के आधार पर इसकी मूल्य हिस्सेदारी कैलेंडर वर्ष 20 की तीसरी तिमाही में 19 प्रतिशत तक पहुंच गई थी।
दूसरी तरफ कुपर्टिनो मुख्यालय वाली ऐपल इंक दूसरी तिमाही के दौरान मूल्य के लिहाज से शीर्ष स्थान पर पहुंच गई है। कैलेंडर वर्ष 25 की पहली तिमाही में स्मार्टफोन की थोक बिक्री में अब इसकी हिस्सेदारी एक-चौथाई (26 प्रतिशत) है। पिछले साल इसी अवधि में यह हिस्सेदारी 20 प्रतिशत थी। उसने अपनी सभी प्रमुख प्रतिस्पर्धियों – सैमसंग, वीवो, ओपो और श्याओमी को पछाड़ दिया है। इन ब्रांडों ने पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में कैलेंडर वर्ष 25 की पहली तिमाही के दौरान दो-दो प्रतिशत अंक गंवाए, जो ऐपल इंक की कुल बढ़त है।
कैलेंडर वर्ष 24 की पहली तिमाही में सैमसंग शीर्ष पर थी। उसके बाद ऐपल, फिर वीवो, ओपो और श्याओमी का स्थान था। शीर्ष 10 में केवल दो ब्रांड ही बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में सफल रहे हैं। मोटोरोला ने कैलेंडर वर्ष 25 की पहली तिमाही में अपनी मूल्य हिस्सेदारी को दोगुना कर 4 प्रतिशत कर लिया और गूगल की हिस्सेदारी बढ़कर अब 2 प्रतिशत हो गई जो कैलेंडर वर्ष 24 की पहली तिमाही में 1 प्रतिशत से भी कम थी। कार्ल पेई के नए ब्रांड नथिंग की हिस्सेदारी प्रचार के बावजूद कैलेंडर वर्ष 25 की पहली तिमाही में एक प्रतिशत रही। इससे पहले कार्ल पेई ने वन प्लस ब्रांड खड़ा किया था।
काउंटरपॉइंट रिसर्च में अनुसंधान प्रमुख तरुण पाठक ने कहा, ‘भारत में कोविड के बाद शुरू हुआ प्रीमियमाइजेशन का चलन जारी है। ऐपल इंक, सैमसंग और वीवो जैसे ब्रांडों ने इस चलन का अनुमान लगाया और ईएमआई (समान मासिक किस्तों) तथा वित्तीय सहायता वाली योजनाओं के समर्थन से इनके अनुरूप अपनी रणनीतियों को बनाया। ये ब्रांड बढ़त हासिल करने में सक्षम रहे। इनमें से 50 प्रतिशत फोन फाइनेंस योजनाओं वाले थे।’
श्याओमी के लुढ़कने के बारे में पाठक ने कहा, ‘यह इसकी आम बाजार वाली छवि के कारण था और इसलिए भी कि यह श्रेणी फाइनेंसिंग पसंद नहीं करती है।’