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एनसीएलटी में खारिज हुआ शिवा इंडस्ट्रीज का प्रस्ताव

Last Updated- December 12, 2022 | 1:55 AM IST

राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) के चेन्नई पीठ ने शिवा इंडस्ट्रीज के कर्ज समाधान प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा है कि वह आईडीबीआई बैंक की अगुआई वाले कर्जदाताओं की समिति के फैसले पर बिना सोचे मुहर नहीं लगाएगा।
एनसीएलटी ने कर्जदाताओं को लताड़ लगाते हुए कहा कि वह सीओसी के वाणिज्यिक विवेक पर रबर स्टांप लगाने के बजाय अपने न्यायिक विवेक से चलेगा। सीओसी ने शिवा इंडस्ट्रीज पर बकाया 4,863 करोड़ रुपये की जगह भारी घाटा झेलने के लिए राजी होते हुए 398 करोड़ रुपये की देनदारी के साथ कर्ज समाधान के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था।

इस पर एनसीएलटी ने कहा कि शिवा इंडस्ट्रीज के एक शेयरधारक आरसीके वल्लाल की तरफ से दायर अर्जी ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता की धारा 12ए पर खरी नहीं उतरती है। यह धारा प्रवर्तकों को अपनी कंपनियां वापस पाने का एक मौका देती है अगर 90 फीसदी कर्जदार बकाया की देनदारी पर सहमत हो जाते हैं।
मामले की सुनवाई के दौरान एनसीएलटी ने कहा, ‘इस अधिकरण को आईबीसी 2016 की धारा 12ए के संदर्भ में पेश समाधान योजना पर विचार करते समय सजग रहने की जरूरत है। सिर्फ एक पूर्वग्रह-रहित समाधान योजना को ही मंजूरी दी जाए। सीओसी को कोई भी समाधान योजना स्वीकार करने या खारिज करने के लिए मनमानी शक्तियां दी जानी चाहिए।’

एनसीएलटी की तरफ से कोई राहत नहीं मिलने के बाद आवेदनकर्ता वल्लाल अब इस मामले को अपीली पंचाट एनसीएलएटी में ले जाने की सोच रहे हैं। उच्चतम न्यायालय पहले कह चुका है कि दिवालिया कानून से जुड़े किसी भी मामले के गुणदोष पर विचार करते समय कर्जदाताओं की समिति के वाणिज्यिक विवेक को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। लेकिन एनसीएलटी ने कहा कि कर्जदाता संस्थानों के वाणिज्यिक विवेक पर सिर्फ तभी सवाल नहीं उठाया जा सकता है जब सीओसी ने आईबीसी के मसौदे के अनुरूप फैसला लिया हो।

First Published - August 13, 2021 | 1:04 AM IST

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