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एसबीआई ने Reliance Comm के लोन को घोषित किया फ्रॉड, RBI को भेजा अनिल अंबानी का नाम

बैंक ने बताया कि वह आरबीआई के मास्टर डायरेक्शन और सर्कुलरों के अंतर्गत, लोन खाते और अनिल अंबानी के नाम को आरबीआई को रिपोर्ट करने की प्रक्रिया आगे बढ़ा रहा है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- July 02, 2025 | 11:16 AM IST

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCOM) के लोन खाते को “धोखाधड़ी” (फ्रॉड) घोषित कर दिया है। साथ ही कंपनी के पूर्व निदेशक अनिल धीरूभाई अंबानी (Anil Dhirubhai Ambani) का नाम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को भेजने की कार्रवाई शुरू कर दी है। यह जानकारी आरकॉम ने मंगलवार को एक नियामकीय फाइलिंग में दी।

SBI की 23 जून, 2025 के लेटर में कहा गया है, “बैंक की फ्रॉड आइडेंटिफिकेशन कमिटी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड के लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित करने का निर्णय लिया है।”  यह लेटर 30 जून को कंपनी को मिली। इसमें रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड (RTL) और अन्य समूह कंपनियों के जरिये संभावित फंड डायवर्जन समेत कई अनियमितताओं और लोन शर्तों के उल्लंघन का हवाला दिया गया है, जिनके आधार पर फ्रॉड घोषित किया गया।

बैंक ने बताया कि वह आरबीआई के मास्टर डायरेक्शन और सर्कुलरों के अंतर्गत, लोन खाते और अनिल अंबानी के नाम को आरबीआई को रिपोर्ट करने की प्रक्रिया आगे बढ़ा रहा है। नवंबर 2024 में केनरा बैंक ने भी आरकॉम के खाते को “फ्रॉड” घोषित किया था, हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।

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RCOM की दिवालिया प्रक्रिया से पहले के हैं फ्रॉड के दावे

SBI की यह कार्रवाई RCOM की ओर से कॉर्पोरेट इनसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस (CIRP) शुरू होने से पहले लिए गए कर्ज और क्रेडिट सुविधाओं से जुड़ी है। यह प्रक्रिया जून 2019 में शुरू हुई थी और तब से कंपनी का संचालन रिजोल्यूशन प्रोफेशनल अनीश निरंजन ननावटी की निगरानी में चल रहा है। मामले की सुनवाई राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT), मुंबई बेंच कर रही है, जहां एक प्रस्तावित रिजॉल्यूशन प्लान विचाराधीन है।

IBC में कंपनी को ‘adverse effect’ से छूट: आरकॉम

रिलायंस कम्युनिकेशंस ने कहा कि कंपनी 2019 से सीआईआरपी के अंतर्गत है। लेनदारों ने समाधान योजना को मंजूरी दे दी है और एनसीएलटी से अंतिम मंजूरी का इंतजार है। एसबीआई की ओर से 23 जून 2025 को भेजे गए लेटर में जिन लोन सुविधाओं का हवाला दिया गया है, वे सीआईआरपी शुरू होने से पहले की हैं। कंपनी ने कहा कि इन ऋणों को इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के अंतर्गत अप्रूव्ड ​​रिजॉल्यूशन प्लान या लि​क्विडेशन के जरिए ही निपटाया जा सकता है। आरकॉम ने कहा कि सीआईआरपी के दौरान कंपनी के खिलाफ किसी भी कानूनी कार्रवाई, मुकदमे या कार्यवाही की शुरुआत या जारी रखने पर रोक है।

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IBC की धारा 32A के अंतर्गत इम्यूनिटी प्रावधानों के मुताबिक, अगर रिजॉल्यूशन प्लान को एनसीएलटी से मंजूरी मिल जाती है, तो कंपनी को सीआईआरपी शुरू होने से पहले किए गए किसी भी कथित अपराध के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। कंपनी ने कहा कि हालिया घटनाक्रम को देखते हुए वह कानूनी सलाह ले रही है ताकि आगे की रणनीति तय की जा सके।

First Published : July 2, 2025 | 11:16 AM IST