अरबपति लोढ़ा भाइयों में अभिनंदन लोढ़ा को परिवार समझौते के तौर पर मिली रकम पर घमासान हो गया है। जहां बड़े भाई अभिषेक लोढ़ा की अगुआई वाली मैक्रोटेक का दावा है कि छोटे भाई को 1,000 करोड़ रुपये मिले, वहीं अभिनंदन ने इसे खारिज करते हुए झूठ करार दिया। अभिनंदन लोढ़ा के प्रवक्ता ने कहा कि मैक्रोटेक का बयान पिछले हफ्ते अदालत में दाखिल अपने ही दस्तावेज का खंडन करता है। अदालत में दाखिल कागजात में साल 2017 का परिवार समझौता भी शामिल है।
अभिनंदन लोढ़ा के बयान में कहा गया है कि परिवार समझौते में स्पष्ट रूप से कहता है कि अभिनंदन लोढ़ा को कुछ अपार्टमेंट समेत 429 करोड़ रुपये मिले यानी कुल 500 करोड़ रुपये मिले। यह निराशाजनक है कि सूचीबद्ध कंपनी मीडिया के जरिये लोगों को गुमराह कर रही है।
परिवार के मुखिया 69 वर्षीय मंगल प्रभात लोढ़ा हैं जो अभी महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। मैक्रोटेक डेवलपर्स में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी (मंगलवार तक) 72 फीसदी है जिसकी कीमत 82,312 करोड़ रुपये बैठती है।
भाइयों का झगड़ा तब बाहर आ गया जब अभिषेक लोढ़ा की अगुआई वाली मैक्रोटेक ने बंबई उच्च न्यायालय का रुख कर छोटे भाई को लोढ़ा ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग की। बंबई उच्च न्यायालय इस याचिका पर 27 जनवरी को सुनवाई करेगा।
मंगलवार को जारी बयान में मैक्रोटेक ने कहा है कि 2008 से 2014 के बीच कंपनी के कर्ज में भारी बढ़ोतरी हुई, जिससे परिवार के भीतर खासा तनाव पैदा हुआ।
मैक्रोटेक के मुताबिक शुरू में इस पर सहमति बनी कि परिवार का हर सदस्य संपति और कर्ज दोनों का एक हिस्सा लेगा। लेकिन अभिनंदन ने जोर दिया कि वह इतने ज्यादा ग्राहक, कर्ज और निर्माण परियोजना का प्रबंधन नहीं करना चाहते। लिहाजा, सिर्फ रकम लेने को प्राथमिकता दी। परिणामस्वरूप अभिषेक और उनके माता-पिता के पास 20,000 करोड़ रुपये का कर्ज रहा, वहीं अभिनंदन को करीब 1,000 करोड़ रुपये के भुगतान के साथ नया कारोबार शुरू करने के लिए अलग कर दिया गया।
बयान के मुताबिक मैक्रोटेक डेवलपर्स लिमिटेड एनएसई व बीएसई पर कामयाबी के साथ सूचीबद्ध हुई और कंपनी के शेयर की कीमत में काफी बढ़ोतरी हुई है।
आईपीओ के बाद जब लोढ़ा की साख मजबूत होने लगी तो अभिनंदन लोढ़ा ने खुद का रियल एस्टेट कारोबार शुरू किया, जिनका ध्यान प्लॉट पर था। शुरू में उन्होंने लोढ़ा का लोगो विपणन अभियान में इस्तेमाल करने की कोशिश की। लेकिन अभिषेक ने इसे रोक दिया। इसके बाद उन्होंने अपने कारोबार की रीब्रांडिंग हाउस ऑफ अभिनंदन लोढ़ा के तहत की। चूंकि लोढ़ा ट्रेडमार्क उनके खुद के ब्रांड जैसा है। इसलिए उसने कानूनी कदम उठाया।