रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के शेयर में हालिया कमजोरी और उसके वित्तीय अनुपात में गिरावट के बावजूद पिछले दशक के दौरान उसके शेयर मूल्य ने व्यापक बाजार के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। लेकिन इक्विटी लाभांश अथवा शेयर पुनर्खरीद के जरिये शेयरधारकों को लाभ देने के मोर्चे पर आरआईएल अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले काफी पीछे रही है।
पिछले 12 महीनों के दौरान आरआईएल का शेयर मूल्य लगभग स्थिर रहा है लेकिन 2011 के आरंभ से उसमें 364 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है जबकि सेंसेक्स में इस दौरान महज 186 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई।
आरआईएल का शेयर सोमवार को 2,111 रुपये पर कारोबार कर रहा था जबकि जनवरी 2011 के अंत में वह 455 रुपये पर था। समान अवधि में सेंसेक्स करीब 18,300 अंक से बढ़कर सोमवार को 52,483 अंक पर पहुंच गया। परिणामस्वरूप, आरआईएल ने पिछले 10 वर्षों में 16.5 फीसदी की वार्षिक पूंजी रिटर्न डिलिवर किया जबकि बेंचमार्क सूचकांक ने इस दौरान 11 फीसदी का वार्षिक रिटर्न दिया।
हालांकि पिछले 12 महीने रिलायंस के शेयरधारकों के लिए थोड़ा कठिन रहे। जुलाई 2020 के अंत से देश की इस सबसे बड़ी कंपनी के शेयर मूल्य में महज 2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जबकि बेंचमार्क सूचकांक में करीब 40 फीसदी की बढ़त रही। इससे आरआईएल हाल के महीनों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला शेयर बन गया। इस दौरान केवल भारती एयरटेल की स्थिति कहीं बदतर रही और उसके शेयर मूल्य में 5.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
लाभांश भुगतान
आरआईएल भारत में सूचीबद्ध सबसे लाभप्रद कंपनी होने के बावजूद वित्त वर्ष 2021 में सबसे अधिक लाभांश भुगतान (शेयर पुनर्खरीद सहित) करने वाली कंपनियों की सूची में 15वें पायदान पर रही। कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष में अपने शेयरधारकों को कुल 4,512 करोड़ रुपये का लाभांश दिया जबकि उसका शुद्ध मुनाफा 49,200 करोड़ रुपये रहा। इस प्रकार उसका लाभांश भुगतान अनुपात करीब 9 फीसदी रहा जो वित्त वर्ष 2021 में सेंसेक्स में शामिल कंपनियों के 40 फीसदी लाभांश भुगतान अनुपात के मुकाबले एक चौथाई से भी कम है।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस, आईटीसी, हिंदुस्तान यूनिलीवर, भारत पेट्रोलियम, विप्रो, एनटीपीसी, हिंदुस्तान जिंक, लार्सन ऐंड टुब्रो और इंडस टावर्स जैसी तमाम कंपनियां मुनाफा और बाजार पूंजीकरण के मोर्चे पर पीछे होने के बावजूद वित्त वर्ष 2021 में लाभांश अथवा शेयर पुनर्खरीद के जरिये अपने शेयरधारकों को कहीं अधिक रिटर्न दिया।
पिछले दशक के दौरान आरआईएल वित्त वर्ष 2013 और वित्त वर्ष 2018 में शेयर पुनर्खरीद को छोड़कर अपने शेयरधारकों को रिटर्न देने के मोर्चे पर काफी पीछे रही है। वित्त वर्ष 2013 और वित्त वर्ष 2018 में उसने खुले बाजार से कुल मिलाकर करीब 7,000 करोड़ रुपये के शेयरों की पुनर्खरीद की थी। आरआईएल के लाभांश भुगतान में वित्त वर्ष 2011 से 6.6 फीसदी सीएजीआर के साथ वृद्धि हुई जबकि इस दौरान अन्य सूचीबद्ध कंपनियों के मामले में यह आंकड़ा करीब 13.2 फीसदी रहा।
हालांकि कई विश्लेषकों ने कम लाभांश के बावजूद इस बात को लेकर खुशी जताई है कि कंपनी दूरसंचार एवं ई-कॉमर्स जैसे तेजी से उभरते कारोबार में अतिरिक्त रकम का निवेश कर रही है।
जेएम फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘आरआईएल के पास खर्च करने के लिए भारी नकदी एवं पूंजी भंडार होने से दीर्घावधि में बेहतरीन आय वृद्धि सृजित करने के लिए उद्योग में उसकी स्थिति दमदार होगी।’