लगातार बढ़ते मुकाबले, शोरूमों के बढ़ते किराये और दूसरी कंपनियों के उत्पादों पर लगातार घट रहे मुनाफे से बचने के लिए स्थापित रिटेलरों और इस क्षेत्र में आ रहे नए रिटेलरों ने रास्ता ढूंढ निकाला है।
अब सभी रिटेलर्स मुनाफा मार्जिन बढ़ाने के लिए कपड़ा, एफएमसीजी और हेल्थ केयर की श्रेणी में अपने ब्रांड उतारने की योजना बना रहे हैं। कुछ साल पहले तक शॉपर्स स्टॉप जैसे रिटेल स्टोरों के ही अपने ब्रांड होते थे। लेकिन अब हर रिटेलर बाजार में अपना ब्रांड उतारने की योजना बना रहे हैं।
डाबर इंडिया, सुभिक्षा, फ्यूचर ब्रांड्स, रिलायंस रिटेल और स्पेंसर्स जैसे रिटेलर्स में से कई तो अपने ब्रांड्स बाजार में उतार चुके हैं या फिर जल्द ही उतारने जा रहे हैं। उनकी इस जल्दी का कारण भी है। उद्योग सूत्रों के मुताबिक निजी ब्रांड के एफएमसीजी उत्पादों पर मुनाफा मार्जिन 30-40 फीसदी, कपड़ों पर 40-60 फीसदी और बिजली उपकरणों की बिक्री पर यह 15-20 फीसदी ही होता है।
दरअसल रिटेल स्टोरों में दूसरी ब्रांडों के उत्पाद बेचने पर इन कंपनियों का मुनाफा मार्जिन 5-10 फीसदी कम हो जाता है। डाबर इंडिया के मुख्य कार्यकारी सुनील दुग्गल ने कहा, ‘रियल एस्टेट के दाम बढ़ने के कारण हमें लगभग 30 फीसदी का मुनाफा मार्जिन चाहिये।’ उन्होंने कहा, ‘ हमारे पास एक ही रास्ता है निजी ब्रांड्स बेचना।’