रिलांयस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने कृष्णा गोदावरी बेसिन से निकाली जाने वाली गैस को बेचने के लिए नौ उर्वरक और बिजली कंपनियों से समझौता किया है।
इन कंपनियों में नागार्जुन फर्टिलाइजर्स, जीवीके इंडस्ट्रीज, कोनासीमा पावर (सभी आंध्र प्रदेश में), क्रिब्को, चंबल फर्टिलाइजर्स, इफको, टौरेंट पावर (सभी गुजरात) और महाराष्ट्र की टाटा पावर और राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (आरसीएफ) शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, केजी बेसिन से गैस की आपूर्ति को लेकर आरआईएल को अनिल अंबानी समूह की रिलांयस नैचुरल रिसोर्स लिमिटेड (आरएनआरएल) के साथ कानूनी विवाद चल रहा है। इसलिए इस साझे के सहमति पत्र न्यायालय द्वारा आरआईएल के पक्ष में निर्णय दिये जाने के बाद ही वाणिज्यिक समझौते में बदलेंगे।
आरआईएल ने इन कंपनियों को प्रतिदिन 300 लाख स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर(एमएमएससीएमडी) गैस की आपूर्ति करने की योजना बनाई है। लेकिन शुरुआती दौर पर आरआईएल इन कंपनियों को केवल 40 एमएमएससीएमडी गैस की आपूर्ति करेगी। टाटा के अलावा, 40 अन्य कंपनियों ने भी आरआईएल से गैस की आपूर्ति के लिए अर्जी लगाई है।
आरआईएल के अधिकारियों का मानना है कि बिजली, केमिकल्स और उर्वरक कंपनियों ने कंपनी से प्रतिदिन 134 एमएमएससीएमडी देने की मांग की है। अंबानी भाइयों की यह कंपनियां पिछले एक साल से गैस आपूर्ति को लेकर कानूनी विवाद में उलझी हुई है।
आरआईएल को डी-मर्जर समझौते के तहत आरएनपीएल की बिजली परियोजनाओं के लिए गैस की आपूर्ति करनी थी, लेकिन 7 मई को बंबई उच्च न्यायालय ने आरएनआरएल की याचिका पर आरआईएल द्वारा अन्य किसी तीसरी पार्टी को तेल की आपूर्ति पर रोक लगा दी। आरआईएल के सूत्रों का कहना है कि अगली सुनवाई अब 22 जुलाई को होगी।
उधर, कंपनी अभी इसके लिए गैस निकालने और उसके वितरण के लिए पापइलाइन बिछाने में लगी हुई है। कंपनी को उम्मीद है कि जुलाई के अंत तक बेसिन से गैस का उत्पादन शुरू किया जा सकेगा।
कंपनी सूत्रों ने बताया कि आरआईएल ने 2007 के मई महीने के दौरान चुनिंदा बिजली कंपनियों और उर्वरक कंपनियों को गैस की कीमतों के निर्धारण के लिए एक कार्यक्रम किया था। इसमें चयनित बोली लगाने वाली कंपनियों को अपनी गैस की मांग और प्रीमियम के तौर पर दी जाने वाली राशि को बताने को कहा गया था।
रिलांयस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने केजी बेसिन गैस के लिए किया नौ कंपनियों के साथ समझौता