भारत के चार सूचीबद्ध ऑफिस रियल एस्टेट निवेश ट्रस्टों (रीट्स) की पहुंच अगले पांच वर्षों में ग्रेड ए ऑफिस स्पेस के 30 फीसदी हिस्से तक हो सकती है। इस समय यह पहुंच 16 फीसदी है। वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) की बढ़ती मांग से रीट्स को ऑफिस स्पेस बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
कोलियर्स की नई रिपोर्ट, ‘रीट्स अनलॉक्ड: एक्सलरेटिंग इंडियाज रियल एस्टेट मैच्योरिटी’ में कहा गया है कि चार रीट्स के पास इस समय लगभग 13.3 करोड़ वर्ग फुट ग्रेड ए ऑफिस स्पेस है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य 37.1 करोड़ वर्ग फुट, जो मौजूदा ग्रेड ए ऑफिस संपत्तियों का लगभग 46 प्रतिशत है, से भविष्य में रीट लिस्टिंग की संभावना रहेगी ।
कोलियर्स इंडिया में मुख्य कार्याधिकारी बादल याग्निक ने कहा, ‘भारत में ऑफिस रीट्स अभी विकास के शुरुआती चरण में हैं और लगभग 16 प्रतिशत ग्रेड ए ऑफिस स्पेस का हिस्सा पहले ही इक्विटी बाजारों में सूचीबद्ध हो चुका है। भविष्य में रीट्स के अंतर्गत 37.1 करोड़ वर्ग फुट अतिरिक्त कार्यालय स्थान आ सकता है, जिसका अधिकांश हिस्सा शीर्ष सात बाजारों के सेकंडरी बिजनेस डिस्ट्रिक्ट (एसबीडी) में है।’
शीर्ष सात शहरों में, बेंगलूरु 24 प्रतिशत अतिरिक्त रीट-योग्य स्पेस के साथ सबसे आगे है। उसके बाद 19 प्रतिशत के साथ हैदराबाद दूसरे स्थान पर है। मौजूदा रीट्स में लगभग 3.4 करोड़ वर्ग फुट निर्माणाधीन भी है जिसके अगले 12-24 महीनों में चालू होने की उम्मीद है।
लगभग 22.3 करोड़ वर्ग फुट या अतिरिक्त रीट-योग्य ऑफिस स्टॉक का 60 प्रतिशत भारत के शीर्ष सात शहरों के एसबीडी में केंद्रित है। बेंगलूरु 36 प्रतिशत के साथ सबसे आगे है, हैदराबाद 29 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट में ग्रेड ए की 14 प्रतिशत संपत्ति में रीट की संभावना है।
कोलियर्स ने इस बात पर जोर दिया है कि 86 प्रतिशत से ज्यादा की ऑक्यूपेंसी दर प्रीमियम ऑफिस स्पेस की मजबूत मांग दर्शाती है। मौजूदा रीट्स के तहत 86 प्रतिशत परिचालन ऑफिस पोर्टफोलियो ग्रीन सर्टिफाइड है जो वैश्विक स्थिरता मानकों के साथ है। आने वाले वर्षों में भारतीय रीट्स का लक्ष्य 100 प्रतिशत हरित प्रमाणन प्राप्त करना और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को 30-35 प्रतिशत तक बढ़ाना है।