इलेक्ट्रिक दोपहिया बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी ओला इलेक्ट्रिक के खिलाफ नई नियामकीय कार्रवाई हो रही है। इसके तहत ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) ने कंपनी द्वारा अचानक कीमत घटाए जाने पर चिंता जताई है।
एआरएआई ने भवीश अग्रवाल के नेतृत्व वाली कंपनी को 8 अक्टूबर को भेजे गए एक मेल में ‘बॉस’ सेल से पहले एस1 एक्स 2 केडब्ल्यूएच (किलो वॉट आवर) मॉडल के दाम घटाए जाने के बारे में सूचित न किए जाने पर चिंता जताई है। इस प्रकार की चूक पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवॉल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना के तहत सरकारी सब्सिडी पाने के लिए पात्रता को प्रभावित कर सकती है।
एआरएआई भारी उद्योग मंत्रालय के तहत एक वाहनों का परीक्षण करने वाली एजेंसी है। यह एजेंसी केंद्रीय मोटर वाहन नियमों के अनुसार मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) को प्रमाणन प्रदान करती है। वह केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत प्रोत्साहन के लिए आवेदन करने वाली ओईएम को भी प्रमाणित करती है।
ओला इलेक्ट्रिक ने अपनी ‘बॉस’ सेल के लिए कीमत 74,999 रुपये से घटाकर 49,999 रुपये कर दी है। मगर कंपनी ने एआरएआई को अपने इस मॉडल की एक्स-फैक्ट्री कीमत 75,001 रुपये बताई है। इतनी कीमत और 2 केडब्ल्यूएच बैटरी क्षमता के आधार पर इस मॉडल को 10,000 रुपये की सब्सिडी का प्रमाण पत्र दिया गया है।
पीएम-ईड्राइव दिशानिर्देशों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में पंजीकृत ई-दोपहिया और ई-तिपहिया वाहनों के लिए 5,000 रुपये प्रति केडब्ल्यूएच और वित्त वर्ष 2026 के लिए 2,500 रुपये प्रति केडब्ल्यूएच प्रोत्साहन देने का प्रस्ताव दिया गया है। इस राशि या वाहन के एक्स फैक्टरी दाम के 15 फीसदी में जो भी रकम कम हो उसे ही प्रोत्साहन स्वरूप घटाया जाएगा।
इसलिए 75,001 रुपये की एक्स-फैक्टरी कीमत वाले ओला एस1एक्स 2 केडब्ल्यूएच मॉडल पर 10,000 रुपये की सब्सिडी मिलेगी। अगर कीमत घटाकर 49,999 रुपये कर दी जाती है, तो सब्सिडी घटकर 7,500 रुपये रह जाएगी, क्योंकि 15 फीसदी की सीमा कम एक्स-फैक्टरी कीमत पर लागू होती है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी एआरएआई द्वारा कंपनी को भेजे गए मेल को देखा है।
परीक्षण एजेंसी ने इस मामले में स्पष्टीकरण देने और तथ्यों को जल्द से जल्द प्रस्तुत करने का अनुरोध किया है। दिशानिर्देशों का उल्लंघन साबित होने पर कंपनी को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है और उसे सब्सिडी भी खोनी पड़ सकती है।
इस मामले से अवगत एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘स्पष्टीकरण का अनुरोध किया गया है। अगर किसी तरह का उल्लंघन पाया गया तो कानून और योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।’
इस बाबत जानकारी के लिए ओला इलेक्ट्रिक को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं मिला।
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए नोडल मंत्रालय और उसकी परीक्षण एजेंसी द्वारा ओला के खिलाफ यह दूसरी कार्रवाई है। भारी उद्योग मंत्रालय ने 9 अक्टूबर को एआरएआई को ओला इलेक्ट्रिक से संबंधित उपभोक्ताओं की शिकायतों की जांच करने का निर्देश दिया।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) द्वारा 3 अक्टूबर, 2024 को ओला इलेक्ट्रिक को जारी कारण बताओ नोटिस के बाद यह कार्रवाई की गई है। यह नोटिस सितंबर 2023 और अगस्त 2024 के बीच प्राप्त 9,948 शिकायतों के बाद जारी किया गया था। शिकायतें मुख्य तौर पर डिलिवरी में देरी, उत्पाद में खामियां और भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित थीं।
एआरएआई ने सरकारी सब्सिडी के लिए ओला की पात्रता को मंजूरी दी है, मगर कंपनी को आवश्यकता के अनुसार सर्विस सेंटरों को बरकरार रखते हुए वारंटी दायित्वों को पूरा करने का निर्देश दिया है।
ओला इलेक्ट्रिक तमाम सरकारी प्रोत्साहन योजनाओं का प्रमुख लाभार्थी है। इनमें फेम 2 योजना के अलावा ईएमपीएस, पीएम ई-ड्राइव और वाहन, कलपुर्जा एवं बैटरी के लिए पीएलआई जैसी योजनाएं शामिल हैं। फेम, ईएमपीएस और पीएम ई-ड्राइव योजनाओं के तहत ई-दोपहिया विनिर्माताओं के लिए आवश्यक है कि वह उपभोक्ताओं को तीन साल अथवा 20,000 किलोमीटर में से जो पहले पहले हो, तक की वारंटी प्रदान करे।