अगर आप आशियाना खरीदने की सोच रहे हैं तो आपको थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है। रीयल एस्टेट के काम में इस्पात और सीमेंट जैसी बुनियादी चीजों के दाम आसमान छूने से इस क्षेत्र की कंपनियां कीमत बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं।
रीयल एस्टेट कंपनियां इस समय पसोपेश के माहौल में हैं। एक ओर तो इस समय घरों की मांग में तेजी आई हुई है वहीं दूसरी तरफ बुनियादी चीजों के दामों में भारी उछाल आने की वजह से भवन निर्माता कंपनियों को कीमतों में इजाफा करना ही पड़ेगा।
बजट में वित्त मंत्री ने बल्क सीमेंट पर उत्पाद शुल्क को भी बढ़ा दिया है। इसके बाद से सीमेंट की कीमतों का बढ़ना तय था।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में इस उद्योग के ज्यादातर खिलाड़ियों का यही मानना है कि आने वाले दिनों में निर्माण क्षेत्र में लागत में बढाेतरी होनी तय है।
ऐसे में खरीरददारों का गणित भी जरूर बिगड़ेगा। उपल समूह के प्रबंध निदेशक मनीश उपल कहते हैं कि स्टील की कीमतें बढ़ने से निर्माण क्षेत्र में स्वाभाविक रूप से लागत बढ़ जाएगी।
इससे कंपनियों को भी दाम बढ़ाना पड़ेगा। इसमें आवासीय परियोजनाओं की बनिस्बत व्यावसायिक और ढांचागत परियोजनाओं की कीमतों में ज्यादा तेजी आएगी। वैसे अधिकतर कंपनियां कीमतों में इजाफे को तैयार नहीं हैं क्योंकि इस क्षेत्र में प्रतियोगिता बहुत तेज है और कोई भी बाजार की तेजी को मंद नहीं करना चाहता।
ये कंपनियां ग्राहकों की बजाय महंगाई का झटका खुद खाने को तैयार हैं। एपी श्रेष्ठ कॉलोनियर्स के विपणन प्रबंधक पवन खरे कहते हैं कि उत्पाद शुल्क में जो मामूली सी वृद्धि है, उसको कंपनियां खुद झेल सकती हैं।
खरे का यह भी मानना है कि चंडीगढ़ में पहले ही रियल एस्टेट के क्षेत्र मे बहुत कड़ी प्रतिस्पद्र्धा है। ऐसे मे कोई भी दाम बढ़ाने की शायद ही सोचे।
सीएचडी डेवलपर्स लिमिटेड के विपणन और बिक्री प्रबंधक मनोज बिष्ट कहते हैं कि तात्कालिक इजाफे को तो टाला जाएगा लेकिन इससे निर्माताओं को 10 से 15 फीसदी के नुकसान को झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि आगे शुरू होने वाली परियोजनाओं में कीमतें बढ़ाकर कंपनियां घाटे की भरपाई कर सकती हैं। आज नहीं तो कल दाम तो इन कंपनियों को बढ़ाना ही पड़ेगा।