प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
प्रमुख भारतीय बाजारों में रियल एस्टेट डेवलपरों को पर्यावरणीय मंजूरी की समस्याओं, कर्नाटक में ई-खाता पोर्टल से जुड़ी चुनौतियों और प्रमुख राज्यों में हुए चुनावों के कारण मंजूरी संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे डेवलपरों के परियोजनाएं शुरू करने के शिड्यूल, परियोजना की व्यवहार्यता और बैलेंस शीट पर प्रभाव पड़ रहा है।
सैविल्स की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भूमि अधिग्रहण की जटिलताओं, पर्यावरणीय मंजूरी में विलंब और नगरपालिका की अनुमोदन प्रक्रिया धीमी होने से परियोजना में देरी हो रही है और क्रियान्वयन का जोखिम बढ़ रहा है। भले ही रेरा जैसे नियामकीय सुधारों की वजह से क्षेत्रीय पारदर्शिता में बदलाव आया है, लेकिन प्रक्रियात्मक बाधाएं खासकर नए निर्माण कार्य और छोटी कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई हैं।’
अगस्त 2024 में राष्ट्रीय हरित पंचाट (एनजीटी) द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, 20,000 वर्ग मीटर से अधिक निर्मित क्षेत्र वाली और पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र के 5 किलोमीटर के दायरे में स्थित किसी भी रियल एस्टेट परियोजना के लिए पर्यावरणीय मंजूरी केंद्र सरकार द्वारा लिए जाने की जरूरत है।
पहले ये मंजूरी राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा दी जाती थीं। माना जा रहा है कि एमएमआर इस निर्णय से सबसे अधिक प्रभावित होने वाला बाजार है। एक डेवलपर ने नाम नहीं बताए जाने के अनुरोध के साथ कहा, ‘हालांकि नया नियम दिल्ली में केंद्र सरकार को आवेदनों का मूल्यांकन करने की अनुमति देता है, लेकिन वे अपने गृह राज्य के बाहर के आवेदनों का मूल्यांकन करने में सक्षम नहीं हैं।’उद्योग के हितधारकों का कहना है कि हालांकि डेवलपरों ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, लेकिन अकेले एमएमआर में ही लगभग 200-250 परियोजनाएं अटकी हुई हैं।
टाटा रियल्टी ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के एमडी और सीईओ संजय दत्त ने कहा, ‘बाजार के दृष्टिकोण के संदर्भ में, मुंबई में हाल में थोड़ी मंदी आई है। इसका मुख्य कारण लंबित पर्यावरणीय मंजूरियों के कारण परियोजना पेशकश में विलंब है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जल्द ही फैसला सुनाए जाने की उम्मीद है। इसकी वजह से, इन पेशकशों से होने वाली बिक्री स्थगित हो गई है।’
एनारॉक के अनुसार, कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली तिमाही में मुंबई महानगर क्षेत्र में आवासों की आपूर्ति में सालाना आधार पर 9 प्रतिशत गिरावट आई, जबकि बिक्री में सालाना आधार पर 26 प्रतिशत घट गई। दूसरी तरफ, बेंगलूरु में डेवलपरों को ई-खाता पोर्टल से जुड़ी समस्याओं की वजह से मंजूरी संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ‘ई-खाता’ बृहत बेंगलूरु महानगरपालिका का डिजिटल संपत्ति प्रमाण पत्र है जो संपत्ति के विवरण को बनाए रखता है, जिसका उद्देश्य लेनदेन में आसानी लाना है।