देश के प्रमुख सूचीबद्ध रियल एस्टेट डेवलपर वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में बिक्री और राजस्व के लिहाज से तिमाही प्रदर्शन में मिलेजुले नतीजे दर्ज कर सकते हैं। उनमें से कुछ पेशकश में देरी की वजह से प्री-सेल्स के अपने अनुमान से चूक गए हैं तो शीर्ष भारतीय शहरों में आवासीय मांग भी नरम बनी हुई है।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के निदेशक महावीर जैन ने कहा, ‘पिछले तीन साल में देखी गई प्री-सेल और मूल्य वृद्धि में दमदार लाभ शामिल रहा है। इस तरह बहीखाते के लाभ में सालाना आधार पर सुधार की संभावना है। हालांकि बिक्री की धीमी रफ्तार के कारण संग्रह और परिचालनगत नकदी प्रवाह शून्य से 5 प्रतिशत पर कमजोर रहने की आशंका है जबकि निश्चित लागत और कारोबार वृद्धि की प्रतिबद्धताएं अधिक बनी हुई हैं।
आम तौर पर जनवरी से मार्च की अवधि को रियल एस्टेट के लिए दमदार माना जाता है। एचएसबीसी रिसर्च के विश्लेषकों के अनुसार वित्त वर्ष 24 तक इंडेक्सेशन लाभ के अतिरिक्त वर्ष का दावा करने के लिए खरीदारों को मार्च में मकान खरीदने में तेजी लाने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। लेकिन इस साल कर नीति बदलाव में रियल एस्टेट का इंडेक्सेशन हटाए जाने के कारण मार्च में तत्काल खरीदारी की होड़ नहीं रही।
उन्होंने कहा कि कमजोर इक्विटी बाजार के असर ने भी चौथी तिमाही में मकान खरीदारों के फैसले टाल दिए। प्रॉपर्टी क्षेत्र की परामर्श एनारॉक के अनुसार वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में देश के प्रमुख सात शहरों में मकानों की बिक्री 28 प्रतिशत घट गई। भू-राजनीतिक प्रतिकूल हालात के साथ-साथ आवासीय कीमतें बहुत अधिक होने से ऐसा हुआ।
एनारॉक समूह के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘रियल एस्टेट क्षेत्र में मंदी सीधे तौर पर बुकिंग की संख्या को प्रभावित करेगी। कई डेवलपर नकदी प्रवाह के लिए प्री-सेल्स पर काफी ज्यादा निर्भर हैं। इसलिए इस गिरावट से राजस्व वृद्धि को नुकसान पहुंच सकता है।’ मांग में नरमी के बावजूद मैक्रोटेक डेवलपर्स (लोढ़ा) और गोदरेज प्रॉपर्टीज ने वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में अपनी प्री-सेल में क्रमशः 32 प्रतिशत और 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।