facebookmetapixel
FY26 में भारत की GDP 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.9 फीसदी हो सकती है: FitchIncome Tax Refund: टैक्स रिफंड अटका हुआ है? बैंक अकाउंट वैलिडेशन करना तो नहीं भूल गए! जानें क्या करें2 साल के हाई पर पहुंची बॉन्ड यील्ड, एक्सपर्ट ने बताया- किन बॉन्ड में बन रहा निवेश का मौकाCBIC ने दी चेतावनी, GST के फायदों की अफवाहों में न फंसे व्यापारी…वरना हो सकता है नुकसान‘Bullet’ के दीवानों के लिए खुशखबरी! Royal Enfield ने 350 cc बाइक की कीमतें घटाईUrban Company IPO: ₹1,900 करोड़ जुटाने के लिए खुला आईपीओ, लंबी अवधि के लिए निवेशक करें सब्सक्रिप्शनबर्नस्टीन ने स्टॉक पोर्टफोलियो में किया बड़ा फेरबदल: HDFC Bank समेत 5 नए जोड़े, 6 बड़े स्टॉक बाहरनिर्यातकों से लेकर बॉन्ड ट्रेडर्स तक: RBI पर हस्तक्षेप करने का बढ़ता दबावJP Associates के लिए $2 अरब की बोली Vedanta के लिए ‘क्रेडिट निगेटिव’Airtel से लेकर HDFC Bank तक मोतीलाल ओसवाल ने चुने ये 10 तगड़े स्टॉक्स, 24% तक मिल सकता है रिटर्न

5जी सेवाओं के इस्तेमाल पर विचार कर रही रेलवे, एडवांस तकनीकी से सुरक्षित होगी रेल यात्रा

Last Updated- December 11, 2022 | 3:22 PM IST

भारतीय रेलवे स्वदेशी एंटी कोलिज़न और इमेरजेंसी कम्यूनिकेशल सिस्टम तैयार कर रहा है, इसी कड़ी में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेल मंत्रालय के अधिकारियों से 5G नेटवर्क की वकालत करते हुए कहा है रेलवे के पुराने बुनियादी ढांचे को पुनर्जीवित करने के लिए 5जी सेवाओं का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। 
देश में ये विकास ऐसे समय में आया है जब राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर अब तक 4जी सेवाओं को भी सही से इस्तेमाल नहीं कर सके हैं। बता दें, वैष्णव केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री भी हैं।
 
रेलवे योजना पर काम कर रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, " रेलवे अपने एमवीसी और सुरक्षा प्रणालियों में 5जी टेक्नोलॉजी के उपयोग के बारे में विचार कर रही है। इस संबंध में कई स्टेकहोल्डर्स और भारतीय दूरसंचार इंडस्ट्री से भी परामर्श किया जा रहा है।“
 
बता दें, ‘कवच’ पहली स्वदेश निर्मित ऑटोमेटेड ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी) प्रणाली है।
 
 
एमसीवी सिस्टम वो प्रणाली है जिसमें किसी इमेरजेंसी के समय लोकोमोटिव पायलटों और अन्य प्रमुख कर्मियों के बीच वॉयस कम्यूनिकेशन के लिए किया जाता है। ट्रेनों की सुरक्षा और किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए ये जरूरी है कि इमेरजेंसी के समय लोको पायलट और अन्य प्रमुख अधिकारियों के बीच बिना किसी देरी और टेक्निकल खामी के कम्यूनिकेशन हो सके।  
 
एक अधिकारी ने बताया कि रेलवे सुरक्षा की इस प्रणाली को 2026 तक लागू होने की उम्मीद है, लेकिन देश में 5जी स्पेक्ट्रम और तेजी से बढ़ती दूरसंचार योजनाओं के चलते इसके समय पर पुनर्विचार किया जा सकता है। यही कारण है कि रेल मंत्री ने 5जी सेवाओं के उपयोग की मांग की है। 

 
हालाँकि, रेलवे 5G की सेवाओं के इस्तेमाल को लेकर अभी कई पहलुओं पर विचार कर रही हैं।  एक अधिकारी के मुताबिक, निजी ऑपरेटर 5जी इस साल के अंत में बड़े पैमाने पर शुरू करेंगे, वहीं रेलवे ने हाल ही में 4जी परिनियोजन के लिए कई प्रमाणपत्र दिए गए हैं, और अब 5जी पर जाने के लिए एक बार फिर से परीक्षण और पुन: प्रमाणन करने की जरूरत पड़ेगी।

 
रेलवे के उपयोग के लिए अनुकूलित प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DoT) और निजी दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ परामर्श चल रहा है। उदाहरण के लिए, लोको पायलटों के एमसीवी संचार के लिए हैंडसेट जिससे हर तरह के संचार को निर्बाध्य रूप से किया जा सके। 
 
वर्तमान एमसीवी और अन्य रेलवे संचार माइक्रोवेव टेक्नोलॉजी पर काम करते हैं, जिसका उपयोग कम दूरी, उच्च-विश्वसनीयता माध्यम के रूप में किया जाता है। कवच के लिए वर्तमान 4जी प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट का उद्देश्य इन्हें इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी)-सक्षम बनाना है। सूत्रों ने कहा कि इन दोनों प्रौद्योगिकियों में अंतर-संचालन की कमी एक चुनौती है और इसलिए, आगे की प्रगति के लिए एलटीई ढांचे पर समानांतर बुनियादी ढांचे के निर्माण की आवश्यकता है।
 
एक बार जब इन सभी छोटे मुद्दों को सुलझा लिया जाता है, तो मंत्रालय अगले दो-तीन महीनों में कवच की तैनाती के लिए एक निविदा जारी कर सकता है। निविदा 4G परिनियोजन पर आधारित होने की संभावना है, जिसका कोई तत्काल 5G लक्ष्य नहीं है। लेकिन प्रस्तावित योजना पर कोई भी प्रगति भविष्य में 5G के आधार पर कार्यान्वयन को देख सकती है। 
 
केंद्र का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष में दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा मार्गों पर 2000 किलोमीटर की पटरियों को कवच के साथ कवर करना है, जिसमें 4000-5000 किलोमीटर काका लक्ष्य है। अब तक करीब एक हजार किलोमीटर की दूरी तय की जा चुकी है। 
 
बता दें, रेल मंत्ती वैष्णव ने मार्च में कवच का लाइव प्रदर्शन किया था, जहां दो ट्रेनें इस तकनीकी के इस्तेमाल से टक्कर होने से पहले ऑटोमैटिक सिग्नल भेजने में सक्षम रहीं थी। इसके अलावा, इस स्थिति में इस तकनीक के द्वार ऑटोमैटिक ब्रेक की भी सुविधा है। 

First Published - September 20, 2022 | 10:03 AM IST

संबंधित पोस्ट