रिलायंस पावर लिमिटेड मध्य प्रदेश में सासन अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट के लिए 3 कोयला खदानें विकसित करने के वास्ते अगले तीन साल में 2500-3000 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बना रही है।
रिलायंस पावर के अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि नार्थ अमेरिकन कोल कार्पोरेशन (एनएसीसी) के साथ साझेदारी कर पिट हेड माइन को विकसित किया जाएगा। कंपनी ने इसके लिए कोयला मंत्रालय को अपनी योजना सौंप दी है। कंपनी को उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में उसे सरकारी अनुमति प्राप्त हो जाएगी।’
एनएसीसी सबसे बड़ी लिग्नाइट कोयला उत्पादक कंपनी है और अमेरिका के 10 बड़ी कोयला उत्पादक कंपनियों में शुमार है। रिलायंस पावर के साथ हुए समझौता पत्र के तहत एनएसीसी इस परियोजना के लिए तकनीकी सहायता देगी, जिसमें भू-वैज्ञानिक डाटा का आकलन, खनन योजना और डिजाइन, खदानों के कार्य का निरीक्षण और रिलायंस के पेशेवर लोगों को प्रशिक्षण देना शामिल है।
सूत्रों का मानना है कि सासन परियोजना के लिए कोयला खदानों की रिलायंस पावर की यह योजना भारत में अभी तक की सबसे बड़ी योजना होगी, जिसमें एडवांस कोयला खदान उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें 240 टन क्षमता के परिवहन वाहन का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसका आकार लगभग 4 रेल बोगियों के बराबर होगा। अधिकारियों का कहना है कि कंपनी ने पहले ही अमेरिका और यूरोप की विनिर्माता कंपनियों को आधुनिक कोयला खनन उपकरणों का ऑर्डर दे दिया है।
सासन पावर लिमिटेड (एसपीएल), रिलायंस पावर की पूर्ण-स्वामितव वाली सहायक कंपनी का लगभग 6 हजार एकड़ क्षेत्र में 75 करोड़ टन कोयला भंडार मोहेर (40 करोड़ 20 लाख टन क्षमता) , छत्तरसाल (15 करोड़ टन )और मोहेर-अमलोरी विस्तार (19 करोड़ 80 लाख टन) मौजूद है, जो प्रस्तावित विद्युत परियोजना क्षेत्र और आस-पास है।
18,300 करोड़ रुपये की सासन परियोजना 3,960 मेगावाट परियोजना में सबसे 660 मेगावट इकाई शुरू की जाएगी और उसके बाद अगले कुछ सालों में परियोजना पूर्ण रूप से कार्य करेगी। अल्ट्रा मेगा विद्युत परियोजना के लिए लगभग 15 करोड़ टन कोयला प्रति वर्ष इस्तेमाल किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक रिलायंस पावर पहली कंपनियों में से है, जिसने पिछले कुछ सालों में आवंटित अपने कोयला ब्लॉकों के लिए कोयला विकास योजना दे थी।
रिलायंस पावर को सासन परियोजना अगस्त 2007 को मिली थी और कंपनी ने कुछ ही महीनोंमें कोयला विकास योजना बना कर दे भी दी।सूत्रों का कहना है कि कुछ मामलों में विद्युत निर्माता कंपनियों जैसे कि नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी)को आवंटित कोयला ब्लॉक के लिए विकास योजना अभी तक लगभग 5 वर्ष बाद भी नहीं दी गई। सासन अपनी तरह की देश की आठवीं या नौवीं बहुत बड़ी विद्युत परियोजना है।
उम्मीद है कि अप्रैल 2016 तक यह परियोजना, 660 मेगावाट इकाई के साथ पूरी हो जाएगी। सूत्रों का कहना है कि रिलायंस पावर इस परियोजना को निश्चित समय से पहले पूरा करने की कोश्शि कर रही है। फिलहाल रिलायंस पावर का भारत और विदेशों में लगभग 1 अरब टन कोयला भंडारों, हाल ही में अधिग्रहित इंडोनेशिया की कोयला खदान को शामिल करते हुए, तक पहुंच है।
भारत में कंपनी का अन्य पांच कंपनियों ,जिनकी उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में खदानें आवंटित हैं, के साथ 150 करोड़ टन अन्य कोयला भंडारों तक पहुंच है। रिलायंस पावर कुल 28,200 मेगावाट क्षमता वाली 13 परियोजनाओं को स्थापित कर रही है। इनमें से 7 कोयला दहन परियोजनाएं हैं। कृष्णापट्टनम और शाहनपुर परियोजनाओं के लिए कोयला निर्यात किया जाएगा।