facebookmetapixel
FD Rates: दिसंबर में एफडी रेट्स 5% से 8% तक, जानें कौन दे रहा सबसे ज्यादा ब्याजट्रंप प्रशासन की कड़ी जांच के बीच गूगल कर्मचारियों को मिली यात्रा चेतावनीभारत और EU पर अमेरिका की नाराजगी, 2026 तक लटक सकता है ट्रेड डील का मामलाIndiGo यात्रियों को देगा मुआवजा, 26 दिसंबर से शुरू होगा भुगतानटेस्ला के सीईओ Elon Musk की करोड़ों की जीत, डेलावेयर कोर्ट ने बहाल किया 55 बिलियन डॉलर का पैकेजत्योहारी सीजन में दोपहिया वाहनों की बिक्री चमकी, ग्रामीण बाजार ने बढ़ाई रफ्तारGlobalLogic का एआई प्रयोग सफल, 50% पीओसी सीधे उत्पादन मेंसर्ट-इन ने चेताया: iOS और iPadOS में फंसी खतरनाक बग, डेटा और प्राइवेसी जोखिम मेंश्रम कानूनों के पालन में मदद के लिए सरकार लाएगी गाइडबुकभारत-ओमान CEPA में सामाजिक सुरक्षा प्रावधान पर होगी अहम बातचीत

फर्म चूकी तो फंसेंगे निजी गारंटर

अदालत ने आईबीसी के तहत निजी गारंटर के खिलाफ कार्यवाही समेत प्रमुख प्रावधान रखे बरकरार

Last Updated- November 09, 2023 | 9:54 PM IST
Representative Image

सर्वोच्च न्यायालय ने आज एक ऐतिहासिक फैसला करते हुए डिफॉल्ट करने वाली फर्म के निजी गारंटरों को राहत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि फर्म चूक करती है तो निजी तौर पर उसकी गारंटी देने वालों के खिलाफ ऋणशोधन कार्यवाही करना कानूनी रूप से एकदम सही है। साथ ही अदालत ने ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के प्रमुख प्रावधानों की संवैधानिकता भी बरकरार रखी।

व्यक्तिगत गारंटर के खिलाफ ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए ऋणदाताओं के आवेदन, अंतरिम मॉरेटोरियम तथा समाधान पेशेवर की नियुक्ति जैसे आईबीसी के विभिन्न प्रावधानों के खिलाफ 200 से अधिक याचिकाएं दायर की गई थीं। याचिका दायर करने वालों में रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी भी शामिल थे। उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि आईबीसी कानून के तहत व्यक्तिगत गारंटर को बचाव का कोई मौका नहीं दिया गया है और उन्हें समाधान पेशेवरों के रहम पर छोड़ दिया गया है।

रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस इन्फ्राटेल के ऋण को 2017 में गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की श्रेणी में डाल दिया गया था निजी गारंटी देने वाले अनिल अंबानी के खिलाफ व्यक्तिगत ऋणशोधन कार्यवाही शुरू की गई थी। आईबीसी के प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के पीठ ने कहा कि इसके प्रावधान मनमानी भरे नहीं हैं और संवैधानिक तौर पर उचित हैं।

Also read: इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश अक्टूबर के दौरान 42% बढ़कर 19,957 करोड़ रुपये पर

पीठ ने कहा, ‘आईबीसी को संविधान का उल्लंघन करने वाला बताने के लिए यह नहीं कहा जा सकता कि यह पहले की तारीख से काम कर रहा है। इसलिए हमारा निर्णय है कि इस कानून में कुछ भी दोषपूर्ण और मनमाना नहीं है।’

याचियों ने उचित प्रक्रिया के अभाव तथा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए आईबीसी की संवैधानिक वैधता को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। याचियों ने कहा था कि निजी गारंटी देने वाले को अपना पक्ष रखने या ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया का विरोध करने का अवसर नहीं दिया
गया है।

आईबीसी के विशेषज्ञों ने शीर्ष अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि इससे कानून में और स्पष्टता आई है। एसएनजी ऐंड पार्टनर्स, एडवोकेट्स ऐंड सोलिसिटर्स में पार्टनर अतीव माथुर ने कहा, ‘वित्तीय क्षेत्र अब इस संहिता के तहत व्यक्तिगत गारंटरों के खिलाफ भी कारगर तरीके से कार्यवाही आगे बढ़ा सकेगा। आम तौर पर ज्यादातर मामलों में कॉर्पोरेट देनदारों के पीछे इन्हीं का दिमाग होता है। ऋणदाता अब उम्मीद कर सकते हैं कि प्रक्रिया जल्द शुरू होगी और आईबीसी के तहत निर्धारित समयसीमा पर मामले निपट सकेंगे।’

Also read: RBI पूरी तरह सतर्क, मॉनेटरी पॉलिसी का जोर महंगाई कम करने पर : शक्तिकांत दास

शार्दूल अमरचंद मंगलदास ऐंड कंपनी में पार्टनर अनूप रावत ने इस पर सहमति जताते हुए कहा, ‘इस आदेश से ऋणदाताओं को बड़ी राहत मिली है। उनके कर्ज का जो हिस्सा समाधान प्रक्रिया में वसूल नहीं हो पाता था, अब लेनदार उसे निजी गारंटर की समाधान प्रक्रिया के जरिये हासिल कर सकेंगे।’
पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर अंशुल जैन ने कहा कि यह निर्णय वैचारिक तौर पर सही होते हुए भी कर्ज की गारंटी देने वाले प्रवर्तकों के लिए झटके की तरह है। इससे कंपनी के प्रवर्तक निजी गारंटी देने से बचेंगे।

First Published - November 9, 2023 | 9:54 PM IST

संबंधित पोस्ट