facebookmetapixel
Stock Market: मजबूत वैश्विक रुख से भारतीय बाजार में तेजी, सेंसेक्स 76 अंक उछलाMSCI EM इंडेक्स में भारत का वेटेज घटा, 2 साल के निचले स्तर पर आयाIVF कंपनियां AI से घटाएंगी इलाज की लागत, भ्रूण और शुक्राणु चयन में सटीकता से सफलता दर होगी अधिकजुलाई में भारत का कपड़ा निर्यात 9% बढ़ा, अमेरिका के ब्रांड छूट पर ऑर्डर बरकरार रखने को हुए तैयारनवीन जिंदल बोले: सितंबर तक कमजोर रहेगी इस्पात की मांग, मगर अक्टूबर से दिखेगा तेज उछालट्रंप के टैरिफ झटकों ने भारत को दूसरी पीढ़ी के सुधारों की ओर धकेलाभारत के मास मार्केट संभावनाओं को खोलने के लिए जरूरी है रचनात्मक नीतिगत पहलEditorial: सरकार ने जीएसटी सुधार और रणनीतिक विनिवेश को दिया नया जोरEPAM Systems के नए CEO बोले: कंपनी लगा रही AI पर बड़ा दांव, ग्राहकों की जरूरतों पर रहेगा फोकसVinFast के CEO का बड़ा बयान: कंपनियों की रफ्तार से मेल नहीं खाती भारत की EV पॉलिसी मेकिंग प्रोसेस

फर्म चूकी तो फंसेंगे निजी गारंटर

अदालत ने आईबीसी के तहत निजी गारंटर के खिलाफ कार्यवाही समेत प्रमुख प्रावधान रखे बरकरार

Last Updated- November 09, 2023 | 9:54 PM IST
Private guarantors will be trapped if firm defaults
Representative Image

सर्वोच्च न्यायालय ने आज एक ऐतिहासिक फैसला करते हुए डिफॉल्ट करने वाली फर्म के निजी गारंटरों को राहत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि फर्म चूक करती है तो निजी तौर पर उसकी गारंटी देने वालों के खिलाफ ऋणशोधन कार्यवाही करना कानूनी रूप से एकदम सही है। साथ ही अदालत ने ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के प्रमुख प्रावधानों की संवैधानिकता भी बरकरार रखी।

व्यक्तिगत गारंटर के खिलाफ ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए ऋणदाताओं के आवेदन, अंतरिम मॉरेटोरियम तथा समाधान पेशेवर की नियुक्ति जैसे आईबीसी के विभिन्न प्रावधानों के खिलाफ 200 से अधिक याचिकाएं दायर की गई थीं। याचिका दायर करने वालों में रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी भी शामिल थे। उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि आईबीसी कानून के तहत व्यक्तिगत गारंटर को बचाव का कोई मौका नहीं दिया गया है और उन्हें समाधान पेशेवरों के रहम पर छोड़ दिया गया है।

रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस इन्फ्राटेल के ऋण को 2017 में गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की श्रेणी में डाल दिया गया था निजी गारंटी देने वाले अनिल अंबानी के खिलाफ व्यक्तिगत ऋणशोधन कार्यवाही शुरू की गई थी। आईबीसी के प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के पीठ ने कहा कि इसके प्रावधान मनमानी भरे नहीं हैं और संवैधानिक तौर पर उचित हैं।

Also read: इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश अक्टूबर के दौरान 42% बढ़कर 19,957 करोड़ रुपये पर

पीठ ने कहा, ‘आईबीसी को संविधान का उल्लंघन करने वाला बताने के लिए यह नहीं कहा जा सकता कि यह पहले की तारीख से काम कर रहा है। इसलिए हमारा निर्णय है कि इस कानून में कुछ भी दोषपूर्ण और मनमाना नहीं है।’

याचियों ने उचित प्रक्रिया के अभाव तथा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए आईबीसी की संवैधानिक वैधता को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। याचियों ने कहा था कि निजी गारंटी देने वाले को अपना पक्ष रखने या ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया का विरोध करने का अवसर नहीं दिया
गया है।

आईबीसी के विशेषज्ञों ने शीर्ष अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि इससे कानून में और स्पष्टता आई है। एसएनजी ऐंड पार्टनर्स, एडवोकेट्स ऐंड सोलिसिटर्स में पार्टनर अतीव माथुर ने कहा, ‘वित्तीय क्षेत्र अब इस संहिता के तहत व्यक्तिगत गारंटरों के खिलाफ भी कारगर तरीके से कार्यवाही आगे बढ़ा सकेगा। आम तौर पर ज्यादातर मामलों में कॉर्पोरेट देनदारों के पीछे इन्हीं का दिमाग होता है। ऋणदाता अब उम्मीद कर सकते हैं कि प्रक्रिया जल्द शुरू होगी और आईबीसी के तहत निर्धारित समयसीमा पर मामले निपट सकेंगे।’

Also read: RBI पूरी तरह सतर्क, मॉनेटरी पॉलिसी का जोर महंगाई कम करने पर : शक्तिकांत दास

शार्दूल अमरचंद मंगलदास ऐंड कंपनी में पार्टनर अनूप रावत ने इस पर सहमति जताते हुए कहा, ‘इस आदेश से ऋणदाताओं को बड़ी राहत मिली है। उनके कर्ज का जो हिस्सा समाधान प्रक्रिया में वसूल नहीं हो पाता था, अब लेनदार उसे निजी गारंटर की समाधान प्रक्रिया के जरिये हासिल कर सकेंगे।’
पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर अंशुल जैन ने कहा कि यह निर्णय वैचारिक तौर पर सही होते हुए भी कर्ज की गारंटी देने वाले प्रवर्तकों के लिए झटके की तरह है। इससे कंपनी के प्रवर्तक निजी गारंटी देने से बचेंगे।

First Published - November 9, 2023 | 9:54 PM IST

संबंधित पोस्ट