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कोविड चूक के लिए हो सकता है एमएसएमई के प्री पैक का उपयोग

Last Updated- December 12, 2022 | 6:11 AM IST

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा है कि ऐसे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) जिन्हें कॉर्पोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया से छूट मिली हुई थी वे कोविड संबंधी चूक के लिए पहले से तैयार दिवालिया योजना का इस्तेमाल कर पाएंगे।
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) द्वारा लाए गए अध्यादेश के माध्यम से शुरू हुई पहले से तैयार योजना सरकार को एमएसएमई के इतर कंपनियों के लिए प्रावधान की गुंजाइश को बढ़ाने की सीख भी प्रदान करेगी।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘फिलहाल ध्यान एमएसएमई पर है जिसका एक अद्भुत चरित्र है। इसके अनुभव और कंपनियों ने इसे किस प्रकार से लागू और इसका लाभ उठाया उसके आधार पर हम आगे चलकर इस सुविधा को अन्य कंपनियों तक विस्तारित करने के बारे में सोच सकते हैं।’
मंत्रालय यह भी उम्मीद कर रहा है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिग्रहण संहिता संबंधित छूटों को विस्तारित करे, पहले से तैयार योजना के जरिये अधिग्रहित कंपनियों के लिए नियमों को सूची से बाहर करे। इन नियमों से इसी तरह की छूट फिलहाल कॉर्पोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया के जरिये अधिग्रहित कंपनियों के लिए उपलब्ध है।
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक योजना के लिए विस्तृत नियम और कायदे जिसमें पहले से तैयार योजना के लिए पात्र कंपनियों के लिए चूक की न्यूनतम सीमा का निर्धारण किया जाएगा पर काम चल रहा है और इस महीने के अंत तक इसको शुरू किए जाने की संभावना है।
एक ओर जहां आईबीसी के लिए अब तक राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण का अलग पीठ बनाने की मंत्रालय की कोई योजना नहीं है वहीं सरकार खाली पदों को भरकर, डिजिटलीकरण और ई-अदालतों के जरिये क्षमता को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाने की योजना बनाई है। एनसीएलटी में 22 पद खाली हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘हम मामलों के तीव्र निपटान के लिए क्षमता का आकलन करेंगे। बजट में भी एनसीएलटी के तंत्र को मजबूत करने की घोषणा हुई थी। हम जरूरी कदम उठाएंगे।’
पहले से तैयार की गई योजना एक ऐसी व्यवस्था होती है जिसमें दबावग्रस्त कंपनी के प्रमोटर कंपनी को दिवालिया प्रक्रिया में ले जाए जाने से पहले ऋणदाताओं को एक समाधान योजना का प्रस्ताव देता है। इस योजना का उद्देश्य न केवल समयबद्घ और तीव्र समाधान तंत्र लाना है बल्कि बैंकों, प्रमोटरों और खरीदार के बीच बनी सहमति योजना को कानूनी मंजूरी देना भी है।

First Published - April 7, 2021 | 11:44 PM IST

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