सॉफ्ट ड्रिंक्स की कंपनियों ने अपने उत्पादों पर कर-प्रेरित मूल्य वृद्धि के सुझाव का विरोध किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कुछ हफ्ते पहले जारी दिशानिर्देशों के प्रारूप में सरकारों से कहा था कि सॉफ्ट ड्रिंक्स की खपत कम करने और ‘स्वास्थ्यवर्धक आहार’ को बढ़ावा देने के लिए इस उत्पाद पर कर-प्रेरित मूल्य वृद्धि की जाए।
दिशानिर्देश ‘स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने के लिए राजकोषीय नीतियों’ में उत्पादों की पहचान की गई है। इन उत्पादों में मिठास रहित कार्बोनेटेड शीतल पेय, कार्बोनेटेड फलों और सब्जियों के जूस, सुगंधित पानी, एनर्जी व सॉफ्ट ड्रिंक्स, रेडी-टू-ड्रिंक कॉफी व चाय और सुगंधित दूध व दूध से बने हुए ड्रिंक्स शामिल हैं। इस सूची में सेहत के लिए नुकसानदायक उत्पादों की सूची भी है। इनमें हाई सेचुरेटिड फैट्स, ट्रांस फैट्स, फ्री शुगर और नमक युक्त उत्पाद हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार चीनी पर आधारित मीठे शीतल पेयों (एसएसबी) पर 10 फीसदी कर-प्रेरित मूल्य वृद्धि करने से इसकी बिक्री में 16 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। यह दर उपभोक्ता तक लागू होने पर खरीदार को 82 फीसदी भुगतान करना पड़ेगा।
इंडियन बेवरेज एसोसिएशन के महासचिव जेपी मीणा ने कहा,’यह सुझाव (कर बढ़ाने से खपत कम होने का अनुमान लगाना) भारत और किसी भी देश के लिए सफल नहीं रहा है। हमें ग्रेडिड कर प्रणाली की जरूरत है।’
कंपनियां अभी इन उत्पादों पर जीएसटी को घटाकर 18 फीसदी करने की मांग कर रही हैं। ऐसे समय में कुछ बेवरेज कंपनियों को चिंता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों की आड़ में सरकार कारबोनेटिड ड्रिंक्स पर कर और बढ़ा सकती है।
उद्योग के अनुमान के अनुसार कारबोनेटिड ड्रिंक्स में कोला और गैर कोला की बिक्री के लिहाज से 2022 शानदार साल रहा और बिक्री 7.0 अरब लीटर से 7.25 अरब लीटर के आंकड़े को छू गई।