फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के दिसंबर क्वार्टर में जिंसों (Commodities) के दाम घटने और राजस्व वृद्धि नरम पड़ने से भारतीय कंपनियों का ऑपरेटिंग मार्जिन 2.7 प्रतिशत गिरकर 18-19 प्रतिशत के करीब रह सकता है। विश्लेषक फर्म CRISIL ने एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है।
CRISIL ने मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि जिंसों के दाम घटने और कमजोर वैश्विक मांग से राजस्व सालाना आधार पर 14 प्रतिशत बढ़कर 10.9 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। इसमें उपभोक्ताओं के विवेकाधीन खर्च बढ़ने के साथ उत्पादों के बढ़े हुए दाम भी भूमिका निभाएंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, एक साल पहले की तुलना में अक्टूबर-दिसंबर, 2022 की तिमाही में कंपनियों का ऑपरेटिंग मार्जिन 2.7 प्रतिशत तक गिरकर 18-19 प्रतिशत रहने की संभावना है। यह लगातार पांचवी तिमाही होगी जिसमें सालाना आधार पर गिरावट दर्ज की जाएगी।
चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में कंपनियों का ऑपरेटिंग मार्जिन 17.2 रहा था। वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में 23.7 प्रतिशत रहने के बाद से ही ऑपरेटिंग मार्जिन में लगातार गिरावट आ रही है। हालांकि, तिमाही आधार पर दिसंबर तिमाही में मार्जिन का छह तिमाहियों में पहली बार बढ़ना लगभग तय लग रहा है।
इस विश्लेषण में 300 से अधिक कंपनियों को शामिल किया गया है लेकिन उनमें वित्तीय सेवा और तेल एवं गैस क्षेत्र की कंपनियां शामिल नहीं हैं।
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर) में कंपनियों का राजस्व एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 24 प्रतिशत बढ़ा है लेकिन उनके मार्जिन में चार प्रतिशत तक की गिरावट आई है।