भारत की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ ने सीएनएक्स निफ्टी में आठ फीसदी की बढ़त के साथ प्रवेश किया था। लेकिन शेयर बाजार में गिरावट का दौर शुरू होते ही इस कंपनी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा। सूचीबद्ध होते समय इसकी कीमत
शुक्रवार को 654 रुपये पर इसकी हालत सुधरने से पहले इसमें 60 फीसदी तक की गिरावट आयी। ये कोई सामान्य कारण नहीं थे जिनके कारण कीमतें अपनी वास्तविक स्तर पर आ पायीं। उच्च ब्याज दर के जारी रहने तथा आईटी और आईटीईएस कंपनियों के शेयरों में मंदी की संभावना के चलते जिनमें से कुछ डीएलएफ के ग्राहक भी हैं, ने निवेशकों को सावधान कर दिया। निवेशकों का मानना रहा कि यदि ऐसा हुआ तो कंपनी की फरवरी 2008 में 160-170 लाख वर्ग फुट और फरवरी 2009 तक 200-240 लाख वर्ग फुट जगह विकसित करने की योजना पूरी तरह से संपूर्ण नहीं हो सकती है। यद्यपि डीएलएफ आवासीय कॉम्प्लेक्स पर ज्यादा जोर नहीं देती है जहां पर मंदी का दौर चल रहा है।
इसके अतिरिक्त विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी के ब्याज पर होने वाले खचर्े और दिसंबर
2007 में समाप्त हुई तिमाही में एक साल पहले के मुकाबले कंपनी के ऋण में 19 फीसदी की बढ़ोतरी चिंता का विषय है। बढ़ते ऋण प्रदाताओं के कारण कर्ज बढना भी भारी चिंता का विषय है। इसके अतिरिक्त कुल ऋण का एक तिहाई जो कि लगभग 4000 करोड़ रुपये के लगभग बैठता है, वह डीएलएफ ऐसेट कंपनी का बकाया है जिसे नगदी प्रवाह को बनाये रखने के लिये बनाया गया था। डीएलएफ ने अपनी कुछ परियोजनाओं को प्राइवेट इक्विटी फंड को भी दिया था।
उदाहरण के लिये मेरिल लिंच ने भी कुछ परियोजनाओं में हिस्सेदारी खरीदी है। इसके अतिरिक्त कंपनी अभी तक अपनी प्रतिभूतियों को सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज में आरईआईटी के तहत सूचीबध्द नहीं कर पायी है। फर्म का परिचालन लाभ दिसंबर 2007 में समाप्त हुई तिमाही में सीधा 69.5 फीसदी था जबकि कुल लाभ 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 2,145 करोड़ रुपये हो गया।
इसे फरवरी 2008 में 13,350 करोड़ रुपये के राजस्व और 7,300 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ के साथ बंद होना चाहिये। इससे प्रति शेयर 43 रुपये का लाभ होगा। फरवरी 2009 में बिक्री के 17,000 करोड़ रुपये और शुद्ध लाभ के 9,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने के आसार हैं। विश्लेषकों का मानना है कि कुल परिसंपत्ति मूल्य कम कीमतों पर धन प्रवाह मॉडल के कारण 715 रुपये रहने के आसार हैं।