ईंधन की रिटेल बिक्री से तेल कंपनियों को हो रहे घाटे का बोझ अब थोक में डीजल खरीदने वालों को सहना पड़ेगा।
देश की सबसे बड़ी रिफाइनिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने कॉर्पोरेट और थोक ग्राहकों को डीजल की खरीद पर मिलने वाली छूट में कटौती करने का फैसला किया है। कंपनी ने यह फैसला खुदरा खरीदारों को कम कीमत पर ईंधन बेचने से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए लिया है।
इंडियन ऑयल के कार्यकारी निदेशक एस के गुप्ता ने कहा, ‘हमने अपने कई थोक खरीदारों को मिल रही छूट कम कर दी है और बाकी खरीदारों के साथ भी यही व्यवस्था लागू की जा रही है।’ उन्होंने कहा, ‘कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें आसमान छू रही हैं और हम बाजार में बने रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’
गुप्ता का कहना है कि कंपनी थोक खरीदारों जैसे भारतीय रेलवे, राज्य परिवहन कंपनियां और देश की आर्मी और नेवी आदि को सालाना 75 लाख मीट्रिक टन डीजल बेचने के लिए उनसे सालाना ठेकों पर दोबारा बातचीत कर रही है।
सरकारी रिफाइनरियों को खुदरा और थोक खरीदारों को सरकार की ओर से निर्धारित रियायती कीमतों पर ईंधन बेचना होता है। सरकार ने इस बार भी तेल की कीमतों में काफी कम इजाफा किया है, ताकि पिछले साढ़े तीन वर्ष के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच चुकी महंगाई को काबू में लाया जा सके।
कच्चे तेल की कीमत पिछले एक साल में दोगुनी हो चुकी है। गुप्ता का कहना है कि इस वर्ष के लिए इंडियन ऑयल ने भारतीय रेलवे को दी जाने वाली छूट को 1,217 रुपये प्रति किलोलीटर से 150 रुपये प्रति किलोलीटर कर दिया है। गौरतलब है कि रेलवे अकेले देश के कुल माल ढुलाई ट्रेफिक का 30 प्रतिशत हिस्सा वहन करती है और वह 18 लाख टन डीजल इंडियन ऑयल से खरीदती है, जो रेलवे के कुल ईंधन का लगभग 88 प्रतिशत है।
पिछले महीने कंपनी ने अपने चौथी तिमाही के नतीजे घोषित किए थे, जिसमें कंपनी को 16,560 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। यही वजह है कि कंपनी ने रसोई गैस के नए कनेक्शन देना फिलहाल बंद कर दिया है। आगे वह डीजल और गैसोलीन की बिक्री भी बंद कर सकती है।
कंपनी हर साल लगभग 5 करोड़ 80 लाख टन ईंधन बेचती है, जिसमें से लगभग 2 करोड़ 30 लाख टन ईंधन बड़ी कंपनियों के खाते में जाता है। गुप्ता का कहना है कि तेल की कीमतें तजी से बढ़ रही हैं, इसलिए डीजल की मांग भी बढ़ रही है, लेकिन हम कीमतें नहीं बढ़ा सकते, इसलिए हम जितना ज्यादा बेचेंगे उतना ही ज्यादा हमें नुकसान होगा।