प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) अगले पांच साल में 1.66 लाख करोड़ रुपये का बड़ा निवेश करने वाली है। कंपनी के चेयरमैन अरविंदर सिंह साहनी ने शनिवार को सालाना शेयरधारक बैठक में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह पैसा तेल रिफाइनिंग, ईंधन बिक्री, पेट्रोकेमिकल, प्राकृतिक गैस और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में लगाया जाएगा। IOC का लक्ष्य है कि आने वाले समय की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी क्षमता बढ़ाए।
अभी IOC की रिफाइनिंग क्षमता 80.75 मिलियन टन है। कंपनी इसे 2028 तक बढ़ाकर 98.4 मिलियन टन करना चाहती है। इसके लिए पनीपत, गुजरात और बरौनी में रिफाइनरी का बड़ा विस्तार होगा। कंपनी अपनी पाइपलाइन नेटवर्क को भी मजबूत करेगी। इसे 22,000 किलोमीटर तक बढ़ाया जाएगा। अभी 21 प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इसमें नेपाल में नए स्टोरेज टर्मिनल भी शामिल हैं।
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IOC का पेट्रोकेमिकल कारोबार भी तेजी से बढ़ रहा है। अभी इसकी क्षमता 4.3 मिलियन टन है। कंपनी इसे 2030 तक तीन गुना बढ़ाकर 13 मिलियन टन से ज्यादा करना चाहती है। फोकस खास तौर पर स्पेशलिटी केमिकल्स पर रहेगा। इससे आयात पर निर्भरता कम होगी।
IOC के पास अभी 40,000 से ज्यादा पेट्रोल पंप हैं। कंपनी इन्हें और बढ़ाएगी। इन स्टेशनों पर EV चार्जर, बैटरी स्वैपिंग पॉइंट और CNG/LNG डिस्पेंसिंग यूनिट्स भी लगाए जाएंगे।
कंपनी ने साल 2046 तक नेट-जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। इसके लिए 2.5 लाख करोड़ रुपये ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स में लगाए जाएंगे। इसमें ग्रीन हाइड्रोजन, सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल और रिन्यूएबल एनर्जी शामिल हैं। अभी IOC की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता 1 गीगावाट है। इसे तीन साल में बढ़ाकर 18 गीगावाट करने की योजना है।
IOC का प्राकृतिक गैस कारोबार 20% बढ़कर 7.9 मिलियन टन तक पहुंच गया है। अब कंपनी 21 राज्यों के 49 क्षेत्रों में गैस कारोबार कर रही है। यह देश की 21% आबादी तक पहुंचता है।
IOC ने विस्फोटक, क्रायोजेनिक्स और शिपिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे नए सेक्टर में भी कदम रखा है। साहनी ने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व में तनाव और अमेरिका में व्यापारिक रुकावटों के बावजूद कंपनी ने 2024-25 में 100 मिलियन टन से ज्यादा की रिकॉर्ड बिक्री की। यह सफलता IOC के बड़े रिटेल नेटवर्क, पाइपलाइनों और 15 करोड़ घरों तक पहुंचने वाली LPG सप्लाई की वजह से मिली। साहनी ने कहा कि कंपनी हर निवेश में सख्त वित्तीय अनुशासन बरत रही है। इसका मकसद है कि इंडियन ऑयल लंबे समय तक मजबूत रहे और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार हो।