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Crude Oil Price: कच्चे तेल की कीमतों ने तोड़ा 4 साल का रिकॉर्ड; अप्रैल में कीमत 47 महीने के निचले स्तर पर

पेट्रोलियम प्लानिंग ऐंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के आंकड़ों के मुताबिक यह मई 2021 के बाद का निचला स्तर है।

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- April 20, 2025 | 10:24 PM IST

अप्रैल में कच्चे तेल के भारतीय बास्केट की औसत कीमत गिरकर 45 महीने के निचले स्तर 68.34 रुपये पर आ गई है। यह मार्च के 72.47 रुपये की तुलना में 5.6 प्रतिशत कम है। पेट्रोलियम प्लानिंग ऐंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के आंकड़ों के मुताबिक यह मई 2021 के बाद का निचला स्तर है, जब कोविड महामारी के कारण आई आर्थिक उथल पुथल के कारण कीमतें गिर गई थीं। 

इसके अलावा सरकारी आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 2023-24 में ओमान और दुबई जैसे सोर ग्रेड आनुपातिक रूप से स्वीट ब्रेंट ग्रेड की तुलना में उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।  यह भारतीय रिफाइनरियों में शोधन वाले कच्चे तेल के सोर ग्रेड (ओमान और दुबई औसत) और स्वीट ग्रेड (ब्रेंट डेटेड) का बास्केट है, जिसका अनुपात अभी 78.50: 21.50 है।

पिछले साल पेट्रोलियम पर बनी संसद की स्थायी समिति ने व्यापक रेंज में कच्चे तेल के विभिन्न ग्रेड के आयात की जरूरत पर जोर दिया था, जिससे भारतीय क्रूड बास्केट की लागत में कमी आ सके। बास्केट की कीमत इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि एशियन प्रीमियम पर लेवी के कारण सामान्यतया पश्चिम एशिया के कच्चे तेल की कीमत ज्यादा हो जाती है। समिति ने कहा है कि यह अतिरिक्त राशि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (ओपीईसी) द्वारा एशिया के देशों में वास्तविक बिक्री मूल्य से ऊपर वसूली जाती है। 

बहरहाल पेट्रोलियम मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया था कि आयातित कच्चे तेल के ग्रेडों की संख्या अलग-अलग कच्चे तेल ग्रेडों की तकनीकी और आर्थिक महत्त्व के आधार पर है। कच्चे तेल के भारतीय बास्केट का उपयोग भारत में कच्चे तेल के आयात की कीमत के संकेतक के रूप में किया जाता है। सरकार घरेलू कीमतों पर फैसला करते समय इस सूचकांक पर नजर रखती है। 

इसकी वजह से उद्योग के कुछ लोगों ने बास्केट के मूल्य की गणना के तरीके में बदलाव की मांग की है, क्योंकि इसमें अभी तक रूसी कच्चे तेल की बड़ी मात्रा को शामिल नहीं किया गया है। यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से भारत लगातार बड़ी मात्रा में रूस के कच्चे तेल का आयात कर रहा है। मई 2023 में यह भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया, जब 19.6 लाख बैरल रोजाना (एमबी/डी) आयात हुआ। मार्च 2025 तक के आंकड़ों के मुताबिक रूस के तेल का ज्यादा आयात बना हुआ है और एनर्जी कार्गो पर नजर रखने वाले वोर्टेक्सा के मुताबिक 1.66 लाख बैरल रोजाना आयात हुआ।

पीपीएसी के अधिकारियों ने कहा कि कम अवधि के हिसाब से बास्केट की कीमत कम बनी रहेगी। अमेरिका द्वारा 2 अप्रैल को शुल्क की घोषणा के बाद कच्चे तेल की कीमत तेजी से लुढ़की। कमजोर औद्योगिक मांग और अतिरिक्त आपूर्ति की चिंता के कारण ग्लोबल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड और अमेरिकी बेंचमार्क डब्ल्यूटीआई की कीमत गिरकर 4 साल के निचले स्तर पर आ गई। रविवार को ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स 67.96 डॉलर प्रति बैरल पर रहा, जो पिछले सप्ताह बढ़ा था।  ताजा आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि वित्त वर्ष 2025 में देश के कच्चे तेल के आयात की मात्रा 4.2 प्रतिशत 24.24 करोड़ टन हो गई है, जो वित्त वर्ष 2024 के 23.23 करोड़ टन से ज्यादा है। मूल्य के हिसाब से कच्चे तेल के आयात का बिल 2.7 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 137 अरब डॉलर हो गया है, जो इसके पहले के साल के 133.4 अरब डॉलर से ज्यादा है। 

First Published : April 20, 2025 | 10:24 PM IST