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इंडिया-यूके विजन 2035 के तहत ब्रिटेन में पढ़ाई के लिए भारतीय छात्रों की राह होगी और आसान

इंडिया-यूके विजन 2035 के तहत ब्रिटेन में पढ़ाई के नए विकल्प खुलेंगे, डुअल डिग्री, छात्रवृत्ति और आसान ऋण से भारतीय छात्रों की पहुंच बढ़ेगी

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संकेत कौल   
Last Updated- September 29, 2025 | 10:40 PM IST

अब भारतीय छात्रों के पास ब्रिटेन में शिक्षा पाने की राह की सुगमता और बढ़ जाएगी। इंडिया-यूके विजन 2035 के तहत ब्रिटेन में शिक्षा हासिल करने के अधिक तरीके होंगे, जिसमें संयुक्त और दोहरी डिग्री कार्यक्रम, ऋण हस्तांतरण और छात्रवृत्ति जैसे पहलू शामिल हैं। ब्रिटिश काउंसिल की भारत में निदेशक, एलिसन बैरेट एमबीई ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को ईमेल पर इसकी जानकारी दी।

भारतीय छात्रों की गतिशीलता को बढ़ाने और उनके लिए सहयोगपूर्ण माहौल बनाने का लक्ष्य रखते हुए ब्रिटेन वास्तव में शैक्षणिक योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता से जुड़े समझौते करना चाहता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दोनों देशों में शैक्षणिक प्रमाणपत्रों को मान्यता मिले।

उन्होंने कहा, ‘इससे संयुक्त और दोहरी डिग्री, आसान ऋण हस्तांतरण और सहयोगी शोध के विस्तारित मौके की राह तैयार होगी। युवा पेशेवर योजना जैसी पहल के जरिये भी युवा स्नातकों को अनुभव प्राप्त करने के बाद ब्रिटेन में रहने और काम करने का मौका मिलता है।’

यह बदलाव ऐसे समय में आया है जब ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और न्यूजीलैंड जैसे देश छात्रों के लिए अधिक आकर्षक विकल्प बन रहे हैं, क्योंकि अमेरिका में पढ़ाई और काम करने से जुड़े वीजा पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिसमें वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम को खत्म करने के प्रस्ताव भी शामिल हैं, जो फिलहाल एफ-1 वीजा छात्रों को 12 महीने तक काम करने की अनुमति देता है और जिसमें संभावित विस्तार की संभावना भी शामिल है।

हर साल, हजारों भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन को चुनते हैं। बैरेट ने कहा, ‘वर्ष 2023-24 में, ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में 166,000 से अधिक भारतीय छात्रों का नामांकन था जिसके कारण भारत, ब्रिटेन में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के सबसे बड़े स्रोतों में से एक बन गया।’

ब्रिटेन सरकार को उम्मीद है कि ये तादाद बढ़ती रहेंगी और यह न केवल वहां यात्रा करने वाले छात्रों के माध्यम से बल्कि भारत में ब्रिटेन के अनुरूप योग्यताओं तक विस्तारित पहुंच के माध्यम से भी यह संभव होगा।  

उन्होंने कहा, ‘शाखा परिसरों के बनाए जाने और नई ट्रांसनैशनल शैक्षणिक भागीदारी के साथ, अधिक छात्रों को घर छोड़े बिना ब्रिटेन की शिक्षा का लाभ उठाने का मौका मिलेगा।’

यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्प्टन, लिवरपूल, कोवेंट्री, यॉर्क और एबरडीन सहित कई ब्रितानी विश्वविद्यालयों ने भारत में परिसर स्थापित किए हैं या फिर शिक्षा मंत्रालय से ऐसा करने के लिए आशय पत्र हासिल किया है।

ये विश्वविद्यालय अपने भारतीय परिसरों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (स्टेम) के साथ ही अर्थशास्त्र में पाठ्यक्रम की पेशकश करेंगे।

रिपोर्टों के अनुसार, कार्यक्रमों में कंप्यूटिंग और डेटा साइंस, व्यवसाय प्रबंधन, लेखांकन और वित्त, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और अन्य विषयों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शामिल होंगे। बैरेट ने कहा, ‘अगले कुछ वर्षों में, हमें उम्मीद है कि ब्रिटेन के कई विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और गुजरात इंटरनैशनल फाइनैंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) के नियमन के तहत भारत में परिसर स्थापित करने पर विचार करेंगे।’

हालांकि, एक महत्वपूर्ण विचार यह है कि ब्रिटेन में अध्ययन करने का विकल्प चुनने वाले भारतीय छात्रों के लिए ट्यूशन दरें सस्ती बनी रहें।

इस समस्या को दूर करने के लिए, बैरेट ने कहा कि भारतीय छात्रों के पास इंडिया-यूके विजन 2035 के तहत विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्तियों के विकल्प उपलब्ध हैं। इनमें कॉमनवेल्थ, शिवनिंग, वुमन इन स्टेम और ग्रेट (ग्लोबल रिसर्च ऐंड एजुकेशन इन एडवांस्ड टेक्नोलॉजीज) छात्रवृत्तियों के साथ ही विषय से जुड़े विशेष अवसर भी शामिल हैं।

बैरेट ने कहा, ‘इसके अलावा, ब्रिटेन के शिक्षा विभाग और सीधे किसी विश्वविद्यालयों द्वारा भी आर्थिक सहायता दी जाती है। साथ मिलकर, ये कार्यक्रम प्रमुख वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं और अधिक भारतीय छात्रों के लिए यूके में विश्व स्तरीय शिक्षा का अनुभव करने के द्वार खोलते हैं।’

First Published : September 29, 2025 | 10:40 PM IST