देश की सबसे बड़ी रिफाइनर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के चेयरमैन अरविंदर सिंह साहनी
देश की सबसे बड़ी रिफाइनर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) भारत की अर्थव्यवस्था में ईंधन की बढ़ती मांग के मद्देनजर व्यापक रूप से विस्तार योजना पर कार्य कर रही है। कंपनी के चेयरमैन अरविंदर सिंह साहनी ने कंपनी की विस्तार की योजना को साझा किया। उन्होंने शुभांगी माथुर को दिए विशेष साक्षात्कार में ई 20 विवाद पर भी स्थिति स्पष्ट की। मुख्य अंश :
आप एथनॉल-मिश्रित पेट्रोल पर जारी विवाद को कैसे देखते हैं? क्या आपकी योजना में ग्राहकों को गैर मिश्रित पेट्रोल का विकल्प भी मुहैया करवाना है? क्या पेट्रोल जितना ही बेहतर ई 20 है?
हमारी अभी तक गैर मिश्रित पेट्रोल मुहैया करवाने की कोई योजना नहीं है। हम देखते हैं कि इसका क्या नतीजा निकलता है और उसके अनुसार ही फैसला लेंगे। हमारा विश्वास है कि ई 20 पेट्रोल पर कोई विवाद नहीं है। सभी उपकरण निर्माताओं, प्रयोगशालाओं और एजेंसियों ने यह प्रमाणित कर दिया है कि ई 20 ईंधन को लेकर कोई समस्या नहीं है। हमारे सामने ब्राजील का बहुत अच्छा उदाहरण है, जहां पेट्रोल में 27-32 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण बेचा जाता है। ई 20 ईंधन की दक्षता पेट्रोल के बराबर है।
भारत का लक्ष्य रिफाइनिंग हब बनना है। कैसे इसमें इंडियन ऑयल योगदान देगा?
भारत में ईँधन की बढ़ती जरूरतों के मद्देनजर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने 3 से 4 साल पहले ही रिफाइनरियों की क्षमता को विस्तार देना शुरू कर दिया था। ये परियोजनाएं इंडियन ऑयल समूह की रिफाइनिंग क्षमताओं को 804 लाख टन से बढ़ाकर 980 लाख टन सालाना करने को तैयार हैं। रिफाइन विस्तार परियोजनाएं अगले कैलेंडर साल से लागू होनी प्रस्तावित हैं। यह बढ़ी हुई क्षमता पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ी हुई व्यापक मांग को पूरा करेगी। इस दौरान राजस्थान और नुमालीगढ़ रिफाइनरियों के विस्तार सहित अन्य रिफाइनर परियोजनाएं भी आ जाएंगी। भारत की मार्केट की वृद्धि सुस्त गति से बढ़ रही है। इसमें डीजल की खपत 2 से 3 प्रतिशत और पेट्रोल की खपत 5 से 7 प्रतिशत की दर से सालाना बढ़ रही है। उद्योग योजनागत रिफाइन विस्तार एक बार पूरा होने के बाद अतिरिक्त पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात पर भी सक्रिय रूप से विचार करेगा।
आप निर्यात के लिए किन बाजारों को लक्ष्य बनाने की योजना बना रहे हैं?
पेट्रोलियम उत्पाद मुख्य तौर पर अफ्रीका उपमहाद्वीप और दक्षिण अमेरिका महाद्वीप जाएंगे। यूरोपियन यूनियन में कुछ चुनिंदा रिफाइनरियां बंद हो गई हैं। उन्हें यूरो 6 के मानदंडों को पूरा करने की जरूरत होगी। हमारे उत्पादन इन गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करते हैं। दरअसल, यूरोप अलग है। अभी इंडियन ऑयल अपने उत्पादन का करीब 5 से 8 प्रतिशत निर्यात करता है। अधिक क्षमता आने पर निर्यात आने वाले समय में बढ़ेगा।
क्या इन विस्तार परियोजनाओं के के लिए समयसीमा है?
हम पानीपत रिफाइनरी का विस्तार मार्च 2026 तक पूरा करने की योजना बना रहे हैं। गुजरात और बरौनी रिफाइनरी का विस्तार भी अगले साल तक हो जाएगा। हमारी ज्यादातर रिफाइनरियों का विस्तार वर्ष 2026 तक पूरा हो जाएगा।
सऊदी अरब वैश्विक तेल मॉर्केट में अपने हिस्सेदारी बढ़ाने पर विचार कर रहा है। क्या आपकी उनसे कच्चे तेल के अधिक सौदे के लिए बातचीत जारी है?
हमारी किसी तरह की बातचीत नहीं है।
इंडियन ऑयल की नजर परमाणु और महत्त्वपूर्ण खनिजों जैसे नए क्षेत्रों पर है। क्या चुनौतियां हैं?
हम परमाणु ऊर्जा, महत्त्वपूर्ण खनिज और पानी के जहाज बनाने आदि के लिए खाका बना रहे हैं। इन क्षेत्रों के बारे में बात करना जल्दबाजी है। यह रणनीतिक स्तर पर है। हम इन क्षेत्रों में जाना चाहते हैं, लेकिन कुछ भी स्पष्ट नहीं है।
आपका कच्चे तेल को लेकर क्या नजरिया है?
दुनियाभर में जारी चुनौतियों के बावजूद अभी कच्चे तेल का मूल्य 66 से 67 डॉलर प्रति बैरल है। मेरा अनुमान यह है यदि ये चुनौतियां कम होती हैं तो कच्चे तेल का भाव 5 से 10 डॉलर गिरकर कम से कम 55 से 60 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में आ जाएगा।