बाएं से दाएं- कंपनी की प्रवर्तक और कार्यकारी चेयरपर्सन अमीरा शाह और इसके प्रबंध निदेशक सुरेंद्रन चेमेनकोटिल
मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर ने हाल के महीनों में चार अधिग्रहण किए हैं और वह भौगोलिक क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए रणनीति तैयार कर रही है। सोहिनी दास के साथ वीडियो साक्षात्कार में कंपनी की प्रवर्तक और कार्यकारी चेयरपर्सन अमीरा शाह और इसके प्रबंध निदेशक सुरेंद्रन चेमेनकोटिल ने अपनी कारोबारी योजनाओं के बारे में बताया। प्रमुख अंश :
आपने हाल में कई अधिग्रहण किए हैं। आगे आपकी विलय और अधिग्रहण की क्या रणनीति है?
अमीरा शाह : विभिन्न स्तरों पर समीक्षा-आकलन किया जा रहा और हम भविष्य के लिए निर्माण करते रहेंगे। लेकिन मुझे इस वर्ष कुछ खास होने की उम्मीद नहीं है। मुझे लगता है कि हम अभी जो कुछ करेंगे, वह अगले वर्ष के लिए होगा। हम हमेशा सौदों का मूल्यांकन करते रहते हैं और उद्योग में कई सौदे उपलब्ध हैं। उनमें से कुछ एकीकृत डायग्नोस्टिक से संबंधित हैं, कुछ शुद्ध रूप से पैथोलॉजी के। इस वक्त हम यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि उच्च-स्तरीय रेडियोलॉजी के क्षेत्र में हमारी स्थिति क्या है।
इस श्रेणी में तकनीक-संचालित, समृद्ध प्रतिस्पर्धी के रूप में एमेजॉन के प्रवेश करने से आप किस तरह काबदलाव देखते हैं?
अमीरा : एमेजॉन का प्रवेश ऑरेंज हेल्थ के साथ साझेदारी के जरिये हो रहा है। यह एमेजॉन के जरिये वितरण का काम ज्यादा है। मूल्य निर्धारण के लिहाज से वे काफी तर्कसंगत रहे हैं और उन्होंने अलग-अलग जांच की कीमतें हमारी जैसी कंपनियों के समान ही रखी हैं। स्वास्थ्य सेवा के लिहाज से उनके कुछ प्रोफाइल कम कीमत वाले हैं और यह उम्मीद के अनुसार है। यह ज्यादातर अपने ही ग्राहकों बेचने पर केंद्रित होगा। मुझे नहीं लगता कि इससे उद्योग में किसी तरह का कोई बड़ा बदलाव आएगा। बाजार की प्रतिक्रिया के आधार पर हम हर साल अपनी जांच सूची में 60 से 70 टेस्ट जोड़ रहे हैं। हम उन शीर्ष 750 शहरों में और भी सेंटर खोल रहे हैं, जहां हम पहले से ही काम कर रहे हैं तथा और आगे बढ़ रहे हैं। हम हर तिमाही में 100 से 125 केंद्र जोड़ते रहते हैं। हम एआई जैसी तकनीक में निवेश कर रहे हैं।
पहली तिमाही तक अधिग्रहीत कारोबारों से कितना राजस्व मिल रहा है?
सुरेंद्रन : मैं कह सकता हूं कि वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में हुई 23.2 प्रतिशत वृद्धि में से करीब 13.2 प्रतिशत वृद्धि पहले से मौजूद कारोबार से और शेष 10 प्रतिशत अधिग्रहीत कारोबारों से आई है। अधिग्रहित कारोबारों में से कोर डायग्नोस्टिक की हमारी पूरी तिमाही रही और डॉ. आहूजा पैथोलॉजी ऐंड इमेजिंग सेंटर (डीएपीआईसी) के मामले में आधी तिमाही। आगरा की साइंटिफिक पैथोलॉजी के मामले में तिमाही के दौरान हमारे पास केवल 15 दिन ही थे।
इन परिसंपत्तियों को शामिल करते समय आपको किस प्रकार की परिचालन या कार्यप्रणाली की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?
सुरेंद्रन : निश्चित रूप से कार्यप्रणाली और परिचालनगत चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। कोर डायग्नोस्टिक देशव्यापी परिचालक है और करीब 10 वर्षों से परिचालन में है। इसलिए उसका बड़ा कार्यबल है। उनकी अपनी कार्यप्रणाली, काम करने के तरीके और प्रणालियां हैं। अन्य दो अधिग्रहण अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्रीय भागीदार हैं, लेकिन दशकों से चल रहे हैं। इसलिए उनकी भी कार्यप्रणाली का महत्त्व है और काम करने के तरीके ज्यादा ठोस हैं।