गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को कम लागत वाले सस्ते फंड मिलने लगे हैं लेकिन उनके क्रेडिट प्रोफाइल में गिरावट शुरू हो गई है और रेटिंग एजेंसियों ने चेताया है कि आगामी दिनों में एनबीएफसी की गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में काफी वृद्धि हो सकती है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां 2018 में आईएलऐंडएफएस संकट के कारण पैदा हुई चुनौतियों से जूझ रही थीं लेकिन कोविड-19 वैश्विक महामारी प्रकोप के कारण उनकी चुनौतियों काफी बढ़ गई हैं क्योंकि बैंक और बाजार उन्हें रकम देने से हिचक रहे हैं। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा लक्षित दीर्घावधि रीपो परिचालन (टीएलटीआरओ) के लिए उठाए गए कदमों से नकदी प्रवाह पर दबाव घटाने में मदद मिली।
केंद्रीय बैंक ने बुधवार को एक सरकारी योजना के तहत नकदी प्रवाह का आकलन करने के लिए परिचालन संबंधी दिशानिर्देशों की घोषणा की है। लेकिन इसका मतलब साफ है कि केवल बेहतर रेटिंग वाली एनबीएफसी को ही तीन महीने के लिए विशेष नकदी प्रवाह का लाभ मिलेगा। जबकि संभव है कि बॉन्ड निवेशकों को एनबीएफसी के मुकाबले इसका अधिक फायदा मिलेगा।
एनबीएफससी लॉबी ग्रुप फाइनैंस इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल (एफआईडीसी) के सह-चेयरमैन रमण अग्रवाल ने कहा, ‘बड़ी तादाद में लघु एवं मझोली एनबीएफसी के लिए रकम जुटाने संबंधी चुनौतियों बरकरार रहेंगी क्योंकि पूंजी बाजार तक उनकी पहुंच नहीं होती और वे बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों से ऋण पर निर्भर होती हैं।’
सरकार और आरबीआई की ओर से उठाए गए हालिया कदमों से उन एनबीएफसी को फायदा होगा जो बॉन्ड जारी करती हैं। अग्रवाल ने कहा, ‘लेकिन सावधि ऋण को भी इसके दायरे में लेने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, ‘क्रेडिट रेटिंग को एक महत्त्वपूर्ण मानदंड माना जाता है और यह लघु एवं मझोले आकार की एनबीएफसी के लिए बाधक साबित हो सकती है क्योंकि इस प्रकार की कंपनियां अपने आकार के कारण निवेश श्रेणी की रेटिंग हासिल करने के लिए भी संघर्ष कर रही हैं।’ सरकार की क्रेडिट गारंटी योजना अब तक शुरू नहीं हो पाई है और इसलिए लघु एवं मझोले आकार वाली एनबीएफसी को अपने दैनिक परिचालन संबंधी रकम के लिए बैंकों पर लगातार निर्भर रहना पड़ रहा है। बैंकों ने ऋण देना शुरू कर दिया है लेकिन स्थिति पहले की तरह नहीं है। अधिकतर बैंकों ने एनबीएफसी को ऋण अदायगी में मोहलत की अवधि में विस्तार करने से भी इनकार कर दिया है। जबकि उन्हें अपनपे ग्राहकों को ऋण अदायगी में मोहलत देना पड़ रहा है। उदाहरण के लिए, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा फाइनैंशियल सर्विसेज ने कहा कि उसके 75 फीसदी ग्राहकों ने ईएमआई के भुगतान के लिए मोहलत का विकल्प चुना है जिससे उसके दैनिक नकदी प्रवाह पर असर पड़ा है। अर्क फिनकैप के प्रमुख (कॉरपोरेट ऋण) नचिकेत नाईक ने कहा कि एनबीएफसी क्षेत्र में आगे बहीखातों में सुदृढीकरण दिखना चाहिए और छोटे एनबीएफसी के लिए हल्की परिसंपत्ति वाले मॉडल पर जोर रहेगा। वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसऐंडपी ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुए अर्थिक जोखिम के मद्देनजर श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनैंस, बजाज फाइनैंस, मणप्पुरम फाइनैंस, हीरो फिनकॉर्प और मुथूट फाइनैंस जैसी प्रमुख एनबीएफसी की रेटिंग घटा दी है। इसी प्रकार रेटिंग एजेंसी इक्रा ने बुधवार को कहा कि गैर-बैंकों का एनपीए मार्च 2021 के अंत तक 5 से 7 फीसदी तक बढ़ सकता है जबकि मार्च 2020 में यह 3.3 से 3.4 फीसदी के स्तर पर था।
