टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन और टाटा संस के भी ट्रस्टी निदेशक नोएल टाटा गुरुवार को होने वाली टाटा संस की बोर्ड बैठक में शामिल हो सकते हैं। घटनाक्रम से अवगत सूत्रों ने यह जानकारी दी। टाटा संस के निदेशक मंडल की बैठक में नोएल की यह पहली उपस्थिति होगी। बॉम्बे हाउस में होने वाली बैठक की अगुआई टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन करेंगे। वहीं बोर्ड बैठक का एजेंडा भी तय करते हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने बोर्ड बैठक की तारीख और इसके एजेंडे के बारे में टाटा संस को ईमेल किया गया मगर कोई जवाब नहीं आया।
टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा के पिछले महीने निधन के बाद उनके सौतेले भाई और ट्रेंट के चेयरमैन नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन बनाया गया था। टाटा संस में टाटा ट्रस्ट्स की 66 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके तत्काल बाद नोएल टाटा को टाटा संस के बोर्ड में ट्रस्टी निदेशक के तौर पर शामिल किया गया था।
टाटा संस के बोर्ड में तीन ट्रस्टी निदेशक हैं, जिनमें टीवीएस के मानद चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह शामिल हैं। कुल 10 निदेशकों में से टाइटन के पूर्व सीईओ भास्कर भट्ट का कार्यकाल हाल ही में पूरा हुआ है और जेएलआर के पूर्व सीईओ राल्फ स्पेथ अगले साल बोर्ड से सेवानिवृत्त होंगे। सूत्रों ने बोर्ड बैठक के एजेंडे का खुलासा करने से इनकार कर दिया मगर संकेत हैं कि कंपनी को सूचीबद्ध कराने पर टाटा संस के रुख पर चर्चा हो सकती है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने टाटा संस को अनिवार्य लिस्टिंग से छूट देने के अनुरोध का अभी तक जवाब नहीं दिया है। छूट के लिए अनुरोध दो साल पहले आरबीआई द्वारा वर्गीकरण के बाद किया गया था, जिसमें टाटा संस को उच्च श्रेणी की गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) घोषित किया गया था और सितंबर 2025 तक सूचीबद्ध होना अनिवार्य किया गया था।
टाटा संस की सहायक इकाई टाटा कैपिटल को भी आरबीआई उच्च श्रेणी की एनबीएफसी करार दिया था और नियम के तहत उसे भी अगले साल सितंबर तक सूचीबद्ध कराना होगा।
समझा जाता है कि टाटा संस ने कुछ महीने पहले लगभग 20,000 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया था ताकि उसे उच्च श्रेणी की एनबीएफसी के रूप में वर्गीकृत न किया जाए और स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने से बचा जा सके। खबरों के मुताबिक टाटा संस में 18 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाला शापूरजी पलोनजी समूह टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी को सूचीबद्ध कराने के पक्ष में है।
गुरुवार को प्रस्तावित बैठक ऐतिहासिक संदर्भ में महत्त्वपूर्ण है। 2012 में जब रतन टाटा होल्डिंग कंपनी टाटा संस के चेयरमैन पद से हटे थे और सायरस मिस्त्री टाटा संस के चेयरमैन बने थे तब वे टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नहीं थे। टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा अपने निधन तक टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन बने रहे। रतन टाटा 1991 से 2012 तक टाटा संस और टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन थे।
साल 2022 में टाटा संस के एसोसिएशन ऑफ आर्टिकल्स में विशेष रूप से संशोधन किया गया था ताकि कोई भी व्यक्ति एक ही समय में टाटा संस और टाटा ट्रस्ट दोनों का चेयरमैन पद नहीं संभाल सकता है। एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में समूह के मानद चेयरमैन के रूप में रतन टाटा ने 24 अक्टूबर, 2016 को टाटा संस के बोर्ड बैठक की अध्यक्षता की थी और सायरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया गया था। उसके बाद 21 फरवरी, 2017 को चंद्रशेखरन के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में कार्यभार संभालने तक रतन टाटा को टाटा संस का अंतरिम चेयरमैन नियुक्त किया गया था।