प्रमुख कारोबारों को अलग सूचीबद्ध कंपनियों के रूप में अलग करने की अनिल अग्रवाल की अगुआई वाली वेदांत की योजना का फर्म की मूल कंपनी वेदांत रिसोर्सेस की क्रेडिट गुणवत्ता पर शायद ही असर पड़ेगा। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज ने सोमवार को ये बातें कही। कंपनी की इस योजना से तीन सूचीबद्ध इकाइयां होंगी।
वेदांत रिसोर्सेस की 65.2 फीसदी स्वामित्व वाली सहायक वेदांत लिमिटेड ने ऐलान किया था कि उसके निदेशक मंडल ने एल्युमीनियम, लोहा व इस्पात और तेल व गैस कारोबार को अलग-सूचीबद्ध कंपनियों के रूप में अलग करने की खातिर एक उप-समिति का गठन किया है।
इस समिति के आकलन के बाद निदेशक मंडल अन्य विकल्पों मसलन रणनीतिक साझेदारी आदि पर भी विचार कर सकता है ताकि शेयरधारकोंं के लिए बेहतर मूल्यांकन सामने आए।
कारोबार अलग करने का मामला हालांकि नियामकों, कंपनी के निदेशक मंडल, शेयरधारकों व लेनदारों की मंजूरी पर निर्भर करेगा। इसमें कहा गया है, मौजूदा ढांचे के तहत अलग-अलग कारोबारों की तरफ से सृजित मुक्त नकदी प्रवाह का अलग खुलासा नहीं होता। वहीं कारोबार अलग करने पर हर इकाई अलग-अलग वित्तीय लेखाजोखा पेश करेंगी और वेदांत रिसोर्सेस लिमिटेड का एकीकृत प्रोफाइल उतारचढ़ाव भरे जिंस कीमतों के चक्र के बीच लाभ बनाए रखने में विशाखित कारोबारी मॉडल का फायदा हासिल करती रहेगी।
कारोबार अलग होने के बाद वीआरएल समूह की पांच सूचीबद्ध इकाइयां होंगी, जिनमें से चार वीडीएल और तीन नई सूचीबद्ध कंपनियों की समान शेयरधारिता होगी।
समूह की सूचीबद्ध इकाई हिंदुस्तान जिंक की 64.9 फीसदी हिस्सेदारी वेदांत लिमिटेड के पास बनी रहेगी।
मूडीज ने कहा कि वेदांत रिसोर्सेस का क्रेडिट मैट्रिक्स अपरिवर्तित रहेगा क्योंकि कारोबार अलग होने के बाद भी सभी कारोबारों में उसके आर्थिक हित बने रहेंगे।
