टिकटॉक के अमेरिकी कारोबार के लिए माइक्रोसॉफ्ट को पछाड़ते हुए विजेता बोलीदाता के तौर पर ओरेकल के उभरने संबंधी खबरों के बीच भारत में हितधारकों और विशेषज्ञों का कहना है कि इस सौदे का देश में कोई तात्कालिक प्रभाव नहीं दिखेगा।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक खबर के अनुसार, ओरेकल को अमेरिका में टिकटॉक के भरोसेमंद तकनीकी साझेदार के तौर पर घोषित किया जाना है। हालांकि बाद में चीन के सरकारी टेलीविजन चैनल सीजीटीएन ने सूत्रों का हवाला देते हुए इस खबर का खंडन कर दिया।
ग्रेहंड रिसर्च के संस्थापक एवं सीईओ संचित वीर गोगिया ने कहा, ‘यदि ओरेकल अमेरिका में टिकटॉक का प्रौद्योगिकी साझेदार बनती है तो भारत में जटिलताओं पर उसका कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा जहां फिलहाल हम मौजूद हैं। इस संबंध के स्थिर होने के बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा। भारत अभी भी स्थानीय साझेदार आधारित रणनीति को अपनाना चाहता है जिसमें डेटा सेंटर स्थानीय स्तर पर स्थापित किए जाएं।’ भारत में ओरेकल के 15,000 से अधिक ग्राहक मौजूद हैं और देश में उसके दो डेटा सेंटर पहले से ही स्थापित हैं। हैदराबाद में दूसरे डेटा सेंटर का अनावरण पिछले साल जून में किया गया था जबकि महज एक साल पहले मुंबई में उसने अपने पहले डेटा सेंटर का उद्घाटन किया था।
फॉरेस्टर रिसर्च इंडिया के पूर्वानुमान विश्लेषक संजीव कुमार ने कहा, ‘ओरेकल एक बड़ा साझेदार है और यदि वह अधिग्रहण करती है तो वह जाहिर तौर भारत में डेटा सेंटर की स्थापना हो अथवा डेटा गोपनीयता संबंधी किसी कोई अन्य मुद्दा, उसे वह वह सुलझा लेगी। देश में डेटा सेंटर स्थापित करने की क्षमता उसके पास मौजूद है।’
ओरेकल और टिकटॉक के बीच सौदा काफी दिलचस्प होगा क्योंकि कंपनी उपभोक्ता श्रेणी में बिल्कुल भी मौजूद नहीं है। यदि यह सौदा होता है तो वह डिजिटल मार्केटिंग क्षेत्र में कदम बढ़ा सकती है जो इस अमेरिकी कंपनी के लिए बिल्कुल एक नया कारोबार होगा। कानूनी विशेष सलमान वारिस ने कहा कि यदि ओरेकल और टिकटॉक के बीच सौदा होता है तो वे भारत सरकार के समक्ष प्रतिस्तुतियां दे सकते हैं और उसे डेटा सुरक्षा संबंधी मुद्दों के बारे में बता सकते हैं।