‘रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस’ देश में निजी क्षेत्र की चार प्रमुख जीवन बीमा कंपनियों में शामिल है।
इसकी ओर से लोगों से इकट्ठा किया जाने वाला बिजनेस प्रीमियम 2007-08 में शानदार 195 फीसदी के इजाफे के साथ 2,751 करोड़ रुपये हो गया। यह कारोबार कितना लाभदायक है? इसे लेकर ज्यादातर कंपनियां चुप हैं।
कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा कि वे अभी कंपनी के मुनाफे के बारे में बात नहीं करेंगे। काफी अनुरोध किए जाने के बाद उन्होंने खुलासा किया कि कंपनी को 2007- 08 में 700 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ जैसी अन्य बीमा कंपनियां ज्यादा पारदर्शी हैं और बैलेंस शीट में परिणाम दर्ज करती हैं।
एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ ने 2008-09 में 243 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया है। लेकिन इसकी तरह इन दिनों सभी कंपनियां उदार नहीं हैं।
ये कंपनियां अपने मुख्य परिचालन का ब्यौरा बताने को तो इच्छुक हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर कंपनियां अपने नए उद्यमों की एक झलक भी अपने शेयरधारकों को मुहैया कराने से कतराती हैं।
ये कंपनियां राजस्व और मुनाफा के आंकड़े तो बता देती हैं। लेकिन उनका बिजनेस किस दिशा में आगे बढ़ रहा है, इसकी जानकारी मुहैया नहीं करातीं। बीपीओ कंपनी फर्स्टसोर्स का ही उदाहरण ले लीजिए। इस कंपनी ने 2007-08 में अमेरिका की मेडएसिस्ट का अधिग्रहण किया।
कंपनी का प्रबंधन इस सहयोगी कंपनी के राजस्व या मुनाफे का खुलासा करने को इच्छुक नहीं है। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि फर्स्टसोर्स के कुल राजस्व में इसकी सहयोगी कंपनी यानी मेडएसिस्ट का कम से कम एक-चौथाई का योगदान है।
अपनी सहायक कंपनी फोटोवोल्टेइक में लगभग 6.5 फीसदी की पूंजी लगाने वाली मोजर बेयर ने भी अपने कारोबार के बारे में जानकारी मुहैया कराए जाने के संबंध में चुप्पी साध रखी है। हालांकि मोजर बेयर का प्रमुख व्यवसाय ऑप्टिकल मीडिया ऐंड होम एंटरटेनमेंट भी फिलहाल अच्छा कारोबार नहीं कर रहा है।
लेकिन इसके प्रबंधन के साथ बातचीत में इस कारोबार के बारे में बहुत कुछ ज्यादा जानकारी हासिल नहीं हो सकी। मल्टीप्लेक्स ऑपरेटर पीवीआर ने पिछले साल पीवीआर पिक्चर्स के जरिये फिल्म निर्माण क्षेत्र में कदम रखा।
प्रबंधन जोर देकर यह कह चुका है कि फिल्मों से उसे बड़ा राजस्व हासिल होगा, लेकिन उसने इसकी जानकारी नहीं दी है कि इससे कितना राजस्व हासिल होगा या किसी खास फिल्म से कितना मुनाफा हुआ।
इसके शेयरधारकों के लिए यह बताया जाना ही काफी है कि फिल्मों के लिए कुछ राशि प्रमुख कंपनी की ओर से लगाई जाएगी। रिटेलर शॉपर्स स्टॉप के लिए यह सही है जिसकी हाइपरसिटी में 18 फीसदी की हिस्सेदारी है। हालांकि इसका खुलासा किया जाना जरूरी नहीं है कि हाइपरसिटी किस दिशा में आगे बढ़ रहा है।
शॉपर्स के पास दिसंबर 2008 तक हाइपरसिटी में हिस्सेदारी बढ़ा कर 51 फीसदी किए जाने का विकल्प है, जिसके खत्म होने में दो दिन बाकी हैं।
उदाहरण के लिए इन्फोएज की मैट्रीमोनियल या रियल एस्टेट साइटों के बारे में बात की जा सकती है। कई कंपनियों के प्रबंधन ब्यौरे में सिर्फ प्रमुख व्यवसाय पर ही चर्चा करना पसंद करते हैं। वे इस खुलासे में अपने शेयरधारकों को अपने अन्य व्यवसायों के बारे में आंकड़े को शामिल नहीं करते।