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मोबाइल फोन हुए सस्ते, लेकिन पुर्जों का क्या…

Last Updated- December 05, 2022 | 11:03 PM IST

निखिल कांत, दिल्ली के एक युवा व्यापारी हैं, जिन्होंने मार्च 2007 में नोकिया का एन73 मॉडल 22 हजार रुपये में खरीदा था।


इस महीने की शुरुआत में जब निखिल अपने हैंडसेट की बैटरी को बदलवाने के लिए बदलवाने के लिए स्टोर पहल पहुंचे तो नए हैंड सेट की कीमत 12 हजार रुपये सुन कर हैरान रह गए, जबकि बैटरी की कीमत 2,250 रुपये पहले भी थी और अब भी यही बनी हुई है। ऐसे में निखिल ने भी बैटरी बदलने की जगह नए हैंडसेट की खरीद को ही तरजीह दी।


पिछले एक साल में मोबाइल फोनों की कीमत 25 से 40 प्रतिशत गिरी है, लेकिन इनके पुर्जों की कीमत में कोई गिरावट नहीं हुई। निजी तौर पर मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि वे पुर्जों और बैटरी की कीमत को अधिक ही रखना चाहते हैं ताकि ग्राहक नए हैंड सेट की ओर बढ़े। दूसरे शब्दों में कहें तो हैंडसेट की अधिक बिक्री के लिए यह मोबाइल फोन  कंपनियों की सोची-समझी रणनीति है।


चूंकि मोबाइल फोन के पुर्जे कंपनियों की आय में बहुत कम योगदान देते हैं, इसलिए उनकी कम बिक्री से कंपनियों की आय में बहुत अधिक असर भी नहीं पड़ता। केपीएमजी के सलाहकार कार्यकारी निदेशक रोमल शेट्टी का अनुमान है कि बड़ी मोबाइल निर्माता कंपनियों की आय में कल-पुर्जे 5 प्रतिशत से भी कम का हिस्सा हैं।


मोटोरोला मोबाइल उपकरण निदेशक (मार्केटिंग, भारत और दक्षिण-पश्चिम एशिया), लॉयड मथायस का कहना है, ‘मोबाइल के पुर्जों में फोनों की तरह कीमतों में गिरावट नहीं देखी जाती, जिसके पीछे एक सच यह भी है कि बाजार में इन पर मुनाफा कम है।’ उन्होंने बताया, ‘पुर्जे तो सेवा उत्पाद हैं, मुख्य उत्पाद नहीं। मोबाइल हैंडसेट तो हमारी पहली प्राथमिकता रहेंगे।’


मोबाइल हैंडसेट बेचने वाले खुदरा व्यापारियों ने बताया कि एक साल में पैनलों में 100 से 500 रुपये और बैटरी में 50 से 100 रुपये तक कीमतों में कमी आई है।उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल के पुर्जों जैसे कि बैटरी की कीमत में मामूली-सी गिरावट हुई है, जिसके पीछे उत्पादन में कम-लागत वाले देशों जैसे की चीन में उत्पादन होना एक बड़ा कारण है।


हाल तक ज्यादातर बैटरियां और पैनल यूरोप के देशों जैसे कि फिनलैंड में बनाए जाते थे। अब नोकिया और सोनी एरिक्सन ने अपनी उत्पादन इकाइयां पूर्वी यूरोप और एशिया में ले गए हैं, जिससे आने वाले दिनों में कीमतों में गिरावट की संभावना तेज है।


शेट्टी का कहना है कि अगर पुर्जों की कीमतें इतनी कम हों कि उनसे लाभदायक विकल्प मिले तो इससे कंपनी की आय का बड़ा हिस्सा पुर्जों की बिक्री से कमाया जा सकता है। इसके लिए पुर्जों की कीमतों में लगभग 25 प्रतिशत की कमी जरूरी है।’

First Published - April 23, 2008 | 12:19 AM IST

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