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ऑइल मार्केटिंग कंपनियों पर कम कीमत और ज्यादा जीएसटी की दोहरी मार

GST 2.0: विशेषज्ञों ने कहा कि तेल व गैस खनन सेवाओं को 10 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में लाना कर के दायरे को बढ़ाना का हिस्सा है।

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शुभांगी माथुर   
Last Updated- September 05, 2025 | 9:37 AM IST

भारत की तेल खनन व वितरण कंपनियां के तेल व गैस के खनन व उत्पादन (E&P) की सेवाओं पर अधिक वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाने से मार्जिन पर दबाव पड़ना तय है जबकि ये कंपनियां पहले ही कम ऊर्जा मूल्य की समस्या का सामना कर रही हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि ज्यादा कर लगने से कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की उत्पादन की लागत बढ़ेगी और इससे कंपनियों के मुनाफे पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इक्रा के कॉरपोरेट रेटिंग्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और सह समूह प्रमुख प्रशांत वशिष्ठ ने बताया, ‘कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। इसलिए इन उत्पादों की बिक्री पर ऑफसेट उपलब्ध कराए बिना उत्पादन लागत में वृद्धि से फंसे हुए करों की समस्या उत्पन्न होगी।’

जीएसटी परिषद ने 3 सितंबर को तेल और गैस ईऐंडपी क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं व सेवाओं पर मौजूदा शुल्क 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने के साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की सिफारिश की थी।

भारत की तेल व प्राकृतिक गैस की खोज व वितरण करने वाली कंपनियों में प्रमुख तौर पर तेल और प्राकृतिक गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ONGC) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) के अलावा निजी कंपनियां जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL), वेदांता और केयर्न ऑयल ऐेंड गैस शामिल हैं। कुछ समय से ऊर्जा विशेषकर कच्चे तेल के वैश्विक दाम गिरते जा रहे हैं। इससे उत्पादकों को कम मूल्य मिल रहा है।

वशिष्ठ ने बताया, ‘वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और ओपेक प्लस देशों के तेल में कटौती समाप्त करने से अप्रैल 2025 से तेल व गैस की कीमतों में काफी सुस्ती आई है। लिहाजा इन कंपनियों को सुस्त रिटर्न के साथ लागत उत्पादन में वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में इन कंपनियों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में खराब रिटर्न के कारण कुछ परिसंपत्तियों का पूरी तरह विकास नहीं हो पाएगा।’

अभी बेंचमार्क ब्रेंट 66 डॉलर प्रति डॉलर के करीब है जबकि यह बीते साल की इस अवधि में करीब 71 डॉलर/बीबीएल था। ओएनजीसी ने जून 2025 की समाप्ति पर कच्चे तेल की प्राप्ति में 20 प्रतिशत की तेज गिरावट दर्ज की है और यह 66.13 डॉलर प्रति बैरल रह गई।

विशेषज्ञों ने कहा कि तेल व गैस खनन सेवाओं को 10 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में लाना कर के दायरे को बढ़ाना का हिस्सा है। हालांकि ज्यादातर वस्तु एवं सेवा कर को मानक दर के तहत लाया गया है।
भारत की तेल व गैस कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘इस वृद्धि का मतलब पहले के 12 प्रतिशत के मुकाबले मामूली वृद्धि है। हालांकि परियोजना की अर्थव्यवस्था पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। दरअसल हालिया सुधारों जैसे ऑयल फील्ड एक्ट, ओएएलपी-एक्स नीलामी के दौर और पीएनजी नियमों के मसौदे से तेल खनन के क्षेत्र को बढ़ावा दिया गया है।’

First Published : September 5, 2025 | 9:37 AM IST