Loan Fraud Case: रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल अंबानी (Reliance Group Chairman Anil Ambani) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 5 अगस्त को पूछताछ के लिए तलब किया है। अंबानी को यह समन उनकी कंपनी से जुड़े कथित ₹17,000 करोड़ के लोन फ्रॉड मामले में भेजा गया है।
ED ने अनिल अंबानी को मंगलवार, 5 अगस्त को अपने मुख्यालय में पेश होने के लिए कहा है। ED ने कहा है कि वह उनके बयान को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत दर्ज करेगी, जब वह पेश होंगे।
यह समन ऐसे समय आया है जब पिछले हफ्ते एजेंसी ने मुंबई में अनिल अंबानी से जुड़े 35 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की थी।
ED की जांच में सामने आया है कि ये ठिकाने 50 कंपनियों और 25 लोगों से जुड़े हैं, जिनमें रिलायंस ग्रुप की कई कंपनियों के अधिकारी भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि अनिल अंबानी से जुड़ा यह कथित लोन फ्रॉड मामला पिछले हफ्ते हुई तीन दिन की छापेमारी के दौरान सामने आया।
यह मामला ग्रुप की कई कंपनियों द्वारा कथित वित्तीय गड़बड़ी और करीब ₹10,000 करोड़ के सामूहिक लोन की “डायवर्जन” से जुड़ा है। ईडी के मुताबिक, जांच मुख्य रूप से 2017 से 2019 के बीच यस बैंक (Yes Bank) द्वारा अंबानी ग्रुप की कंपनियों को दिए गए करीब ₹3,000 करोड़ के लोन के कथित गैरकानूनी इस्तेमाल पर केंद्रित है।
रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में कहा था कि वे इस कार्रवाई को स्वीकार करते हैं, लेकिन इसका उनकी बिजनेस ऑपरेशंस, वित्तीय प्रदर्शन, शेयरहोल्डर्स, कर्मचारियों या किसी भी स्टेकहोल्डर पर कोई असर नहीं पड़ा है।
कंपनियों ने यह भी कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स उन पुराने मामलों से जुड़ी लगती हैं, जो रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCOM) और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) के लेनदेन से संबंधित हैं और ये 10 साल से भी पुराने हैं।
ईडी के अनुसार, एजेंसी ने पाया कि लोन स्वीकृत होने से ठीक पहले यस बैंक के प्रमोटर्स की कंपनियों को पैसा मिला था। एजेंसी अब इस कथित “रिश्वत” और लोन के बीच के कनेक्शन की जांच कर रही है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एजेंसी उन आरोपों की जांच कर रही है जिनमें कहा गया है कि कुछ कंपनियों को दिए गए लोन में बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन किया गया। इसमें पीछे की तारीख से क्रेडिट अप्रूवल मेमो बनाना, बिना जरूरी जांच और विश्लेषण किए निवेश का प्रस्ताव देना और बैंक की क्रेडिट पॉलिसी की अनदेखी शामिल है।
जांच में यह भी सामने आया है कि इन लोन की राशि को कई ग्रुप कंपनियों और शेल कंपनियों (फर्जी कंपनियों) में डायवर्ट किया गया। कई बार लोन उन कंपनियों को भी दिए गए, जिनकी वित्तीय स्थिति कमजोर थी, कागजात अधूरे थे, और जिनके डायरेक्टर व पते आपस में मिलते-जुलते थे।
यह मनी लॉन्ड्रिंग केस कम से कम दो सीबीआई एफआईआर, और नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, एनएफआरए व बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट्स पर आधारित है। इन रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सार्वजनिक धन को गुमराह कर हड़पने की एक सोची-समझी साजिश रची गई, जिसमें बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य संस्थानों को नुकसान पहुंचाया गया।
केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद में बताया था कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने आरकॉम और अनिल अंबानी को ‘फ्रॉड’ श्रेणी में रखा है और सीबीआई में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है।
ईडी की जांच में आरकॉम और केनरा बैंक के बीच 1,050 करोड़ रुपये से ज्यादा के बैंक लोन फ्रॉड पर भी नजर है। इसके अलावा, विदेशी बैंकों में अघोषित अकाउंट और संपत्तियों की भी जांच चल रही है।
रिलायंस म्यूचुअल फंड द्वारा 2,850 करोड़ रुपये AT-1 बॉन्ड्स में निवेश का मामला भी जांच के दायरे में है। एजेंसी को यहां क्विड-प्रो-क्वो (लेन-देन के बदले लाभ) की आशंका है। AT-1 बॉन्ड्स बैंक द्वारा पूंजी बढ़ाने के लिए जारी किए जाने वाले परपेचुअल बॉन्ड होते हैं, जिन पर ब्याज ज्यादा मिलता है लेकिन जोखिम भी ज्यादा होता है।
इसके अलावा, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े करीब 10,000 करोड़ रुपये के लोन डायवर्जन पर भी ईडी जांच कर रही है। RHFL पर सेबी की रिपोर्ट भी जांच का हिस्सा है।
स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने कहा है कि अनिल अंबानी इन दोनों कंपनियों के बोर्ड में नहीं हैं, और उनका आरकॉम या RHFL से कोई बिजनेस या फाइनेंशियल लिंक नहीं है। इन कंपनियों के मुताबिक, आरकॉम या RHFL पर कार्रवाई का उनकी गवर्नेंस, मैनेजमेंट या ऑपरेशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।