सूचीबद्धता के बाद एलआईसी के निवेश प्रबंधन की भूमिका पर नजर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:13 PM IST

आरंभिक सार्वजनिक निर्गम और उसके बाद एक्सचेंजों पर सूचीबद्धता क्या इक्विटी में देश की सबसे बड़ी संस्थागत निवेशक भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को निवेश प्रबंधन की भूमिका मेंं बढ़ोतरी के लिए प्रोत्साहित करेगा?
निवेश प्रबंधन की संहिता (स्टुआर्डशिप कोड) संस्थागत निवेशकों को अपनी निवेश प्रक्रियाओं, निवेश वाली कंपनियों के साथ जुडऩे और शेयरधारकों की बैठक में मतदान में पारदर्शिता जरूरी बनाता है। बीमा कंपनियों के लिए ऐसी संहिता बीमा नियामक आईआरडीएआई ने साल 2017 में जारी किया था। मार्च 2020 में बोर्ड से मंजूर एलआईसी की संहिता बताती है कि वह शेयरधारकों के प्रस्तावों पर मतदान, जिम्मेदारी भरे कॉरपोरेट गवर्र्नेंस की प्रक्रिया अपनाने की वकालत और पर्यावरण, सामाजिक व गवर्नेंस से जुड़े जोखिम (जो उसे निवेश वाली कंपनी में नजर आती हो) के बीच हस्तक्षेप आदि के जरिए निवेश प्रबंधन की अपनी भूमिका का निर्वहन करेगी।
मई 2020 के बाद से एलआईसी ने 2,393 प्रस्तावों पर मतदान किया है और यह जानकारी प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म आईआईएएस के आंकड़ों से मिली। इनमें से 2,239 प्रस्ताव पर पक्ष में और 33 के खिलाफ मतदान हुए और 121 में वह अनुपस्थित रही। इस अवधि में एसबीआई म्युचुअल फंड ने 3,947 प्रस्तावों पर मतदान किया, जो एलआईसी के मुकाबले 65 फीसदी ज्यादा है।
एक अन्य प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज के संस्थापक व प्रबंध निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यन ने कहा, एलआईसी चुनिंदा प्रस्तावों पर मतदान करती है लेकिन कितना निष्पक्ष, यह सवाल बना हुआ है। उन्होंने कहा, वित्त मंत्रालय व कंपनियों की तरफ से उसे अलग-अलग दिशा में खींचा जाता है, खास तौर से विवादास्पद मसलों पर। सूचीबद्धता के बाद भी इसे उतार फेंकना आसान नहीं होगा।
आईपीओ से पहले नियामकीय दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए एलआईसी ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
कंपनी का डीआरएचपी अपने जोखिमों में सरकार के अहम प्रभाव को स्वीकार करता है। एलआईसी के मसौदा विवरणिका में कहा गया है, सरकार के आर्थिक या नीतिगत मकसदों को आगे बढ़ाने के लिए हमारे कॉरपोरेशन को कुछ निश्चित कदम उठाने पड़ सकते हैं। प्रवर्तक के हितों का हमारे शेयरधारकों के हितों से टकराव हो सकता है। हम आपको आश्वस्त नहींं कर सकते कि प्रवर्तक हमारे कॉरपोरेशन या अन्य शेयरधारकों के हक में हितों के टकराव का समाधान करने के लिए कदम उठाएगा।
नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई )पर सूचीबद्ध कंपनियोंं में एलआईसी की हिस्सेदारी की कीमत वित्त वर्ष 22 में अब तक के सर्वोच्च स्तर 9.53 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो देसी संस्थानों की इक्विटी की परिसंपत्तियों का करीब 30 फीसदी है।
30 सितंबर, 2021 को एलआईसी को 14 कंपनियों के प्रवर्तक के तौर पर वर्गीकृत किया गया, 13 कंपनियों में उसकी हिस्सेदारी 20 फीसदी से ज्यादा है और 59 कंपनियों के निदेशक मंडल मेंं उसके प्रतिनिधि या नामांकित निदेशक हैं, जहां उसकी हिस्सेदारी 20 फीसदी से कम है। विवरणिका के मसौदे में ये बातें कही गई है।
कई मौकों पर सरकारी कंपनियों के शेयरों की बिक्री के दौरान उसे उबारने पर एलआईसी ने लोगों का ध्यान खींचा है। अभी भी सरकारी कंपनियों में उसका अच्छा खासा निवेश है, हालांकि यह हिस्सेदारी लगातार घट रही है और सात वर्षों में यह 30 फीसदी से घटकर 20 फीसदी रह गई है। यह जानकारी यूबीएस से मिली।
आईआईएएस के संस्थापक व एमडी अमित टंडन ने कहा, एलआईसी के लिए निवेश प्रबंधन की भूमिका के दो तत्व हैं। इनमें से एक निवेश का प्रबंधन, निवेश व पोर्टफोलियो की निगरानी है, जिसमें यह भी कि जहां आपका इक्विटी स्वामित्व है वहां आप कैसे मतदान करते हैं, शामिल है। दूसरा तत्व है भविष्य की पीढिय़ों के लिए कारोबार के पहलू पर ध्यान देना।

First Published : February 16, 2022 | 11:08 PM IST