निर्माण और इंजीनियरिंग के मैदान की महारथी लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) अपने रेडी मिक्स कंक्रीट (आरएमसी) कारोबार को लाफार्ज के हाथों बेचकर इस हफ्ते सुर्खियों में रही और शेयर बाजार में उसकी चमक बढ़ गई।
कंपनी ने फ्रांस की लाफार्ज को देश भर में 66 कंक्रीट प्लांट वाला अपना कारोबार 1,480 करोड़ रुपये में बेच दिया। पिछले हफ्ते कुछ गिरावट का शिकार हुए उसके शेयरों को इससे अच्छा खासा सहारा मिला और उन्होंने उछाल मार ली।
लाफार्ज के संग कंपनी के इस सौदे की सुगबुगाहट तो काफी पहले से थी, लेकिन इसका ऐलान बुधवार को देर शाम किया गया। इसी का असर था कि गुरुवार को बम्बई स्टॉक एक्सचेंज में कुछ ही देर के कारोबार में एलऐंडटी के शेयर 3.5 फीसद चढ़कर 2927 रुपये पर पहुंच गए। दिलचस्प है कि इससे पहले शेयर बाजार में आए भंवर में फंसी कंपनी के शेयरों में इस साल कम से कम 30 फीसद की कमी आ चुकी थी।
लगभग 28,000 करोड़ रुपये की कंपनी एलऐंडटी के लिए अभी वक्त काफी अच्छा चल रहा है। यही वजह है कि आदित्य बिड़ला समूह के साथ चल रहा उसका विवाद सुलझने के भी पूरे आसार नजर आ रहे हैं। अपना सीमेंट व्यवसाय इस समूह की कंपनी ग्रासिम को बेच चुकी एलऐंडटी का शेयर बिक्री के बारे में विवाद चल रहा है। लेकिन दोनों पक्ष इसे अदालत के बाहर निपटाने को तैयार लग रहे हैं।
एलऐंडटी की बुनियाद भारत में डेनमार्क के दो इंजीनियरों हेनिंग हौक लार्सन और सोरेन क्रिश्चियन टुब्रो ने 1938 में डाली थी। उसके बाद से लगातार तरक्की की सीढ़ियां चढ़ती यह कंपनी इंजीनियरिंग और निर्माण के मामले में दुनिया की दिग्गज कंपनियों में शुमार हो चुकी है। फिलहाल उसे 85 फीसद से ज्यादा कमाई इन्हीं क्षेत्रों से होती है। इसीलिए उसके चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ए एम नाइक कह चुके हैं कि निर्माण क्षेत्र पर उनका ज्यादा ध्यान है।
उन्होंने इसके लिए बाकी व्यवसायों से धीरे-धीरे हाथ खींचने की भी बात कही है। सीमेंट का अपना कारोबार तो कंपनी 2004 में ही ग्रासिम को बेच चुकी है। आरएमसी के लिए उसके पास खरीदारों की पूरी कतार थी, जिसमें दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट निर्माता कंपनी होलसिम भी शामिल है। लेकिन उसने लाफार्ज को ही चुना।
लाफार्ज से एलऐंडटी को जो मोटी रकम मिल रही है, उसके इस्तेमाल की योजना भी वह बना चुकी है। नाइक के लिए यह सोने पर सुहागे वाली ही बात है क्योंकि जिस कारोबार से वह हटना चाहते थे, उसके अच्छे दाम भी मिल गए और अब उन्हीं दामों की मदद से वह कारोबार में विस्तार करने जा रहे हैं। कंपनी ने गुरुवार को ही ऐलान कर दिया कि इस रकम का इस्तेमाल निर्माण और मशीनरी कारोबार को बढ़ाने में किया जाएगा।
जानकारों को भी एलऐंडटी का यह कदम काफी सटीक लग रहा है। उनके मुताबिक कंपनी को इससे दोहरा फायदा होगा। उसे अपनी महारत वाले क्षेत्र यानी निर्माण पर ज्यादा ध्यान देने का मौका मिलेगा और तिजोरी भी भरेगी। कंपनी की ऑर्डर बुक पहले ही भरी हुई है। यह बात निवेशकों के भी हक में जाती है यानी उन्हें दांव पर लगाई रकम का अच्छा नतीजा मिल सकता है।
एलऐंडटी का विस्तार अभियान जोरों पर है। उसकी नजर पश्चिम एशिया के बाजार पर है। उसके राजस्व का 17 फीसद वहीं से आता है, जिसे 2 साल में बढ़ाकर वह 25 फीसद करना चाहती है।