रतन जिंदल की जिंदल स्टेनलेस पश्चिमी एशिया में क्रोमियम अयस्क और मैगनीज खदानों को खरीदने की तैयारी कर रही है।
गौरतलब है कि कंपनी पांच साल से उड़ीसा सरकार की ओर से खदान आवंटित होने की बाट जोह रही थी। जिंदल स्टेनलेस के निदेशक (कारोबार विकास एवं रणनीति) अरविंद पारेख का कहना है कि कंपनी दो खदानों को खरीदने की प्रक्रिया में थी और यह अगले 2-3 महीनों में अंतिम रूप ले लेगी।
फिलहाल कंपनी उड़ीसा सरकार की उड़ीसा माइनिंग कॉर्पोरेशन (ओएमसी) से बाजार दरों पर कच्चे माल ले रही है, लेकिन कैप्टिव खदानों के आवंटन के बाद कंपनी की कच्चे माल की लागत में अहम कमी आएगी। पारेख का कहना है कि फेरो क्रोम परियोजना के लिए लगभग पांच वर्ष पहले ही सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं और कैप्टिव खदानों का आवंटन इसी करार का हिस्सा था। हालांकि खदानों के आवंटन के मामले में असफलता के बाद, राज्य सरकार ने ओएमसी से बाजार दरों पर जुड़ने की एक वैकल्पिक रणनीति तैयार की।
पारेख का कहना है, अधिग्रहण की कीमत बहुत अधिक नहीं होगी, क्योंकि उन्होंने अधिक खोजबीन नहीं की है, लेकिन जिस क्षेत्र में ये खदानें हैं, उसमें बहुत अधिक संभावनाएं हैं। ये खदानें निजी कंपनियों के पास हैं। जिंदल स्टेनलेस जमीन के सीधे-सीेधे अधिग्रहण या फिर खदानों में 30 से 50 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए कुल खरीद पर विचार कर रही है। पारेख का कहना है, ‘हमें बोली लगाने की जरूरत नहीं है और चूंकि यह निजी हाथों में इसलिए यह प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाएगी।’ उद्योग सूत्रों का कहना है कि कैप्टिव खदानों के साथ जिंदल स्टेनलेस का मार्जिन काफी बढ़ जाएगा।
फिलहाल कंपनी का मार्जिल 18-22 प्रतिशत के करीब है, जो बढ़कर 35 प्रतिशत हो सकता है। क्रोम अयस्क की कीमतें पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी हैं। पारेख का कहना है, ‘जब हम इस परियोजना को अंतिम रूप दे रहे थे, क्रोम अयस्क 3,000 रुपये प्रति टन और फेरो क्रोम 28 हजार-35 हजार रुपये प्रति टन था। आज क्रोम अयस्क की कीमत 30 हजार रुपये और फेरो क्रोम की कीमत 85 हजार से 90 हजार रुपये प्रति टन हो चुकी है।’