स्वाइन फ्लू का कहर न केवल मैक्सिको की सीमाओं को तोड़कर बाहर पहुंच चुका है और अमेरिका में प्रवेश कर रहा है। यही नहीं अब यह साइबर स्पेस पर भी हमला कर रहा है।
विकिपीडिया, सोशल नेटवर्किंग साइटों और ब्लॉगों सहित अन्य वेबसाइट फ्लू के लक्षणों और उससे संबंधित जोखिमों के बारे मे ताजा जानकारियां लोगों को मुहैया कर रही है। हालांकि कुछ मामलों में यह भी देखने को मिला है कि गलत जानकारियां मुहैया कराने की वजह से ऑनलाइन भी ‘आतंक’ फैलाने का कारण बन रही है।
उदाहरण के लिए आप टि्वटर डॉट कॉम को ही ले लीजिए। जब आप स्विन फ्लू या फिर स्वाइन फ्लू के बारे में टि्वटर डॉट कॉम पर खोज करेंगे तो आपको कुछ दिलचस्प परिणाम पढ़ने को मिलेंगे। उस वेबसाइट पर कुछ लोग यह सुझाव दे रहे हैं कि, ‘अब वह वक्त आ गया है कि जब लोगों को सूअरों को खाने के लिए अलविदा कहना होगा!’
इसी तरह इस वेबसाइट पर कुछ सुझाव इस तरह भी पढ़ने को मिलेगा: ‘सूअरों से फैलने वाला यह बीमारी बहुत ही खतरनाक जान पड़ता है, लिहाजा इसे आप हैमडेमिक (हैम यानी सूअर और डेमिक का मतलब महामारी होता है) का नाम दे सकते हैं।’
फॉरनपॉलिसी डॉट कॉम के ब्लॉगर और ओपन सोशल इंस्टीटयूट से जुड़े इवगैनी मोरोजोव ने बताया कि टि्वटर डॉट कॉम पर स्वाइन फ्लू की अनधिकृत जानकारी से लोगों में गलत संदेश जा सकता है और इसे पढ़ने के बाद लोग गलत फैसले ले सकते हैं।
हालांकि एक डिजिटल विज्ञापन कंपनी पिनस्टॉर्म के संस्थापक और टि्वटर के उपयोगकर्ता महेश मूर्ति मोराजोव की बातों से सहमत नहीं हैं। मूर्ति का कहना है कि टि्वटर पर उत्पन्न हुई यह समस्या वास्तव में ब्रेकिंगन्यूज नामक साइट से हुई है।
मूर्ति ने बताया, ‘इस साइट के जरिए टि्वटर डॉट कॉम को हर 10 मिनट के अंतराल पर स्वाइन फ्लू के बारे में जानकारी मिल रही थी। हम लोगों ने करीब 100 अपडेट हासिल किए थे… यह साफ था कि उसमें से ज्यादातर अपडेट अफवाहों पर आधारित थे। समस्या यह है कि ब्रेकिंगन्यूज एक स्वचालित साइट है।’
मूर्ति बताते हैं कि टि्वटर एक एसएमएस की तरह है जो सिर्फ अफवाहें फैला सकता है। बिजनेस ब्लॉगिंग के सीईओ और एक सक्रिय टि्वटर उपयोगकर्ता किरुबा शंकर ने बताया ने बताया, ‘टि्वटर एक प्रभावशाली उपकरण हैं और इसकी सूचना देने की क्षमता से कॉर्पोरेट जगत भी हैरान है।’
